24दिसंबर(इंटरनेशनल ब्यूरो)।
यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के बावजूद रूस अगले साल जनवरी-फरवरी से भारत को एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के तीसरे स्क्वाड्रन की सप्लाई शुरू कर देगा. सूत्रों ने बताया कि हाल ही में इंडियन एयर फोर्स के अफसरों की एक टीम ने रूस में जाकर प्रोडक्शन साइट का निरीक्षण किया था.
सूत्रों ने मीडिया को बताया कि पहले दो स्क्वाड्रन को देश की उत्तरी और पूर्वी इलाकों में तैनात किया जा चुका है और एलएम हवाई अभ्यास भी कर चुके हैं. यह प्रणाली अलग-अलग रेंज की अपनी मिसाइलों से दुश्मन की बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों, लड़ाकू विमानों और 400 किमी तक की दूरी पर उड़ने वाले मानवरहित हवाई वाहनों को तबाह कर सकती है.
भारत ने तीन साल में रूस से S-400 एयर डिफेंस मिसाइलों के पांच स्क्वाड्रन हासिल करने के लिए 35,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की डील की है. सभी यूनिट्स की डिलीवरी अगले साल के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है. S-400 को भारतीय वायु सेना द्वारा एक गेम चेंजर माना जाता है, जिसने पिछले कुछ वर्षों में स्वदेशी MR-SAM और आकाश मिसाइल सिस्टम के आगमन के साथ, इजराइली स्पाइडर त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली के साथ वायु रक्षा क्षमताओं के मामले में खुद को बड़े पैमाने पर मजबूत किया है
सूत्रों ने कहा कि एस-400 मिसाइल सिस्टम ने अभ्यास में भाग लिया है. इस सिस्टम से विरोधियों को झटका लगा है क्योंकि वे चीन की तुलना में भारतीय प्रणाली की क्षमताओं को जानते हैं. अब चीन और भारत दोनों के पास LAC पर अपने संबंधित S-400 वायु रक्षा प्रणालियां तैनात हैं. मिसाइलों की तैनाती की योजना इस तरह से बनाई गई है कि चीन के साथ भारत का उत्तरी से लेकर पूर्व तक का पूरा क्षेत्र कवर किया जा सके. इस प्रणाली को रूसी हवाई और समुद्री मार्ग से भारत तक पहुंचाया जा रहा है. भारत और रूस जल्द ही यूपी के अमेठी में एके-203 असॉल्ट राइफलों के संयुक्त उत्पादन पर भी काम करने जा रहे हैं. S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है, जो कई सौ किमी. दूर से दुश्मन के विमान को तबाह कर सकता है. यह रक्षा प्रणाली चार अलग-अलग मिसाइलों से लैस है. यह मिसाइल जमीन से 100 फीट ऊपर उड़ रहे खतरे की पहचान कर सकता है।