Monday, December 23, 2024

पुस्तक समीक्षा

पुस्तक समीक्षा
“स्वरचिता” कहानियां उन स्त्रियों की जिन्होंने प्रश्न किया

पुस्तक – स्वरचिता
लेखिका – पल्लवी पुंडीर
पब्लिकेशन – प्रतिबिम्ब ( नोशन प्रेस )

“स्वरचिता” कुछ दिनों पहले प्राप्त हुई और इसे हाथ में लेकर अपनी प्रिय मित्र की मेहनत फलित होने पर उससे मिलने वाली खुशी को शब्दों में बयां करना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल हैं… मैंने यह पुस्तक एक लेखक की नजर से नहीं एक पाठक के रूप में पढ़ी हैं क्योंकि पाठक लेखक को मजबूर करते हैं कि उनको रुकना नहीं हैं..इन सभी मौन प्रश्नों को उठाना हैं, सवाल करते रहना हैं, लिखते रहना है, लेखक से अनुरोध हैं कृपया ऐसे प्रश्नों निरंतर उठाते रहे…पुस्तक का कवर बहुत खुबसूरत हैं, प्रिंटिग स्वच्छ, स्पष्ट हैं..लेखिका पल्लवी पुंडीर वर्तमान समय में हिंदी साहित्य की सबसे बेहतरीन और उत्कृष्ट लेखिका हैं, कमाल का लेखन, बेहद खूबसूरत शब्दों का चयन उनको अन्य लेखिकों से इतर करता हैं..कहना बाहुल्य न होगा कि उत्कृष्ट लेखन विधा में पल्लवी सर्वश्रेष्ठ हैं, सरल, रोमांचक, ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं को अपने धैर्यवान लेखनी से बांधने वाली पल्लवी किसी परिचय की मोहताज नहीं, इनकी लेखनी स्वयं में इनका परिचय हैं, आपको इस पुस्तक के लिए और आने वाली अनेक पुस्तकों के लिए अनंत साधुवाद एवं शुभकामनाएं।


जहां तक इस कहानी संग्रह की बात की जाएं तो 11 अति महत्वपूर्ण, संवेदनशील, रोमांचक कहानियों का आकाश हैं…मेरी दृष्टि में स्वराचिता को आकाश कहना सत्य होगा..जिस तरह आकाश पर जगमगाते तारों के बीच प्यारा चांद अपनी दूधिया रोशनी से पूरे संसार को शीतलता प्रदान करता है ठीक वैसे ही पल्लवी की हर एक शब्द जगमगाते तारों  की पंक्तियों से बुनी श्रेष्ठतम कहानियों से भरी चांद समान “स्वराचिता” के रूप में प्रस्तुत हैं।
हर एक कहानी ज्वलंत मुद्दों के साथ नया संदेश देती हैं, उन सभी स्त्रियों की दिल की आवाज़ बनती हैं जो उनमें दबी पड़ी हैं उनके हृदय को शीतलता महसूस होती हैं कोई तो हैं जो सवाल उठा रहा हैं..पहली कहानी मीरायण की मीरा जो प्रेम में सब कुछ खो देने के बाद प्रेम को अमरत्व देने वाली दीप्ति चरित्र है, मीरा की बातें, उसकी नटखट हरकतें और सवाल बरबस उसके संग मुस्कुराने पर मजबूर करती हैं वही उस के अस्तित्व पर समाज और परिवार का बंधन आक्रोश दिलाता हैं मीरा को पढ़ कर सो जाने का मन करता है क्योंकि ऐसे चरित्र से कुछ संवाद करने का मन हैं जो शायद स्वप्न में संभव हैं लेकिन तभी हर्फ़ और मीरा के संवाद पर खिलखिलाने पड़ती हूं, कहानी का दुखांत हैं पर प्रेम में सुखद अनुभूति के साथ सुकून देता हैं।

पल्लवी पुंडीर जी अपनी पुस्तक के साथ


दूसरी कहानी “मैने पिता को जन्म दिया” की कृष्णा शर्मा एक हिम्मती सवाल करने और उनके जवाब भी खुद ढूंढने वाली लडकी हैं, तमाम बंदिशों, विरोधाभासाओं से लड़ती हुई अपनी राह स्वयं तय करती हैं ठीक ऐसे ही सभी अन्य कहानियां-
“केशकर्षिता” “प्रभाती” “प्रेमाबंध” “आह” “लेपर्ड लिली” “द्रोहिणी” “गृहप्रवेश” “परिचय”  और “ताईजी” की नायिकाएँ  इस समाज से प्रश्न तो करती हैं पर रास्ते स्वयं दूंढती हैं, उन्हें भान हैं उनके प्रश्नों का उत्तर किसी के पास नही..वो जानती हैं आत्महीन, शोषक, पक्षपाती समाज भला एक स्त्री को क्या उत्तर देगा, अगर मुझसे पूछा जाए की मेरी सबसे पसंदीदा कहानी कौन सी हैं तो मेरे ज़हन में कोई उत्तर नही होगा क्योंकि पल्लवी की कहानियों में से किसी एक का चुनाव असंभव हैं..हर एक कहानी शानदार हैं साथ ही बेहद महत्वपूर्ण मुद्दों को समाज के समक्ष प्रस्तुत करती हैं, निष्ठा, समर्पण, प्रेम, निश्चलता, मौन, प्रतीक्षा क्या यह सिर्फ़ स्त्री का भाग्य हैं..हर स्त्री के रक्तरंजित आत्मा पर अश्रु-कलम से लिखी यह सभी कहानियाँ और उनके प्रश्न वर्षों से प्रतीक्षा कर रही थीं.. किसी को तो लिखनी थी यह गाथा फिर पल्लवी से बेहतर कौन हो सकता हैं जो इन सवालों को सबके समक्ष प्रस्तुत करें, पल्लवी के स्वभाव की निर्भीकता और विश्वास सभी कहानियों में दिखती हैं, यह समाज स्त्री के मनभाव को समझें इसके लिए आप सभी पाठकों से अनुरोध है यह पुस्तक अवश्य पढ़ें क्योंकि हमारे सवालों के जवाब सबसे पहले हमें स्वयं ढूंढना हैं।
पुस्तक अमेजन, फ्लिपकार्ट, एव नोशन प्रेस के वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
समीक्षक:-
अनामिका अनूप
anamika77@gmail.com
फोन. 7720009614
नोएडा

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments