प्रस्तुति:- #शैलेन्द्रसिंहशैली
💐संत रविदास💐
* रविदास, जिन्हें रैदास और गुरू रविदास के नाम से भी जाना जाता है
* इन्हें सिर्फ संत गुरू नहीं बल्कि एक कवि के रूप में भी जाना जाता है
* रविदास भारत में 15वीं शताब्दी के एक महान संत, दर्शनशास्त्री, कवि, समाज-सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे
* मीरा और कबीर भी संत रविदास की महिमा को स्वीकार चुके थे
* गुरू संत रविदास का जन्म काशी में चर्मकार परिवार में हुआ था वे स्वयं भी यही काम किया करते थे, किंतु वे बचपन से ही अद्भुत विचारों से परिपूर्ण थे
* संत रविदास का जन्म उत्तप्रदेश के काशी नगर में मां कालसा देवी और पिता संतोख दास जी के यहां हुआ था
* बताया जाता है कि गुरू रैदास ने साधु संतों की संगति से ज्ञान प्राप्त किया था जिसे उन्होंने बाद में जन-जन तक फैलाया
* उन्होंने कभी भी अपने पैतृक कार्य से मुंह नही मोड़ा अपने परिवार का पोषण करने के लिए वे जूते बनाने का काम करते थे
* परिश्रम से प्राप्त आय के एक सिक्के को उन्होंने मां गंगा को समर्पित किया था जिसे लेने वे साक्षात प्रकट हो गई थीं
* वे अपने वचन के पक्के, दयावान एवं दूसरों की सहायता करने वाले थे
* मेहनत से प्राप्त आय पर ही वे अपने परिवार को पालन करने पर यकीन करते थे
* माता-पिता ने इनका विवाह काफी कम उम्र में ही श्रीमती लोना देवी से कर दिया जिसके बाद रविदास को पुत्र रत्न की प्रति हुयी जिसका नाम विजयदास पड़ा
* शादी के बाद भी संत रविदास सांसारिक मोह की वजह से पूरी तरह से अपने पारिवारिक व्यवसाय के ऊपर ध्यान नहीं दे पा रहे थे
* बाद में रविदास जी भगवान राम के विभिन्न स्वरुप राम, रघुनाथ, राजा राम चन्द्र, कृष्णा, गोविन्द आदि के नामों का इस्तेमाल अपनी भावनाओं को उजागर करने के लिये करने लगे और उनके महान अनुयायी बन गये
* जब धीरे-धीरे उनकी ख्याति फैली तो लोगों ने उनकी महिमा को स्वीकारते हुए विचारों को भी स्वीकारा
* माघ महीने के पूर्ण चन्द्रमा दिन पर माघ पूर्णिमा पर हर साल संत रविदास की जयंती या जन्म दिवस को मनाया जाता है
* रविदास जयंती के अवसर पर लगभग पूरे देश में आयोजन किए जाते हैं
* संत रविदास के गुरु का नाम रामानंद था
* 15वीं सदी में जन्में रविदास जी ने भक्ति आंदोलन को एक नई दिशा दी जिसका उल्लेख उनके द्वारा लिखित काव्यों में साक्षात् मिलता है
* उनके कुछ भक्तों का मानना है कि गुरु जी की मृत्यु प्राकृतिक रुप से 120 या 126 साल में हो गयी थी कुछ का मानना है उनका निधन वाराणसी में 1540 एडी में हुआ था
* वाराणसी में श्री गुरु रविदास पार्क है जो नगवा में उनके यादगार के रुप में बनाया गया है जो उनके नाम पर “गुरु रविदास स्मारक और पार्क” बना है
* वाराणसी में पार्क से बिल्कुल सटा हुआ उनके नाम पर गंगा नदी के किनारे लागू करने के लिये गुरु रविदास घाट भी भारतीय सरकार द्वारा प्रस्तावित है
* ज्ञानपुर जिले के निकट संत रविदास नगर है जो कि पहले भदोही नाम से था अब उसका नाम भी संत रविदास नगर है