Monday, December 23, 2024

पुस्तक समीक्षा

पुस्तक समीक्षा

“बीते वक्त की याद दिलाता बेहतरीन संग्रह”
पुस्तक का नाम “मां कह एक कहानी”
पुस्तक सामग्री  – गद्य से सुसज्जित रचनाएँ
संपादक का नाम- प्रीति चौधरी ‘मनोरमा’
प्रकाशक – प्राची पब्लिकेशन
पृष्ठ: 113
समीक्षक: शाहाना परवीन “शान”

समीक्षक शाहाना परवीन”शान”

“माँ कह एक कहानी” अभी कुछ दिनों पहले ही मुझे प्राप्त हुई है। इससे पहले भी मैं अपनी प्रिय सखी प्रीति चौधरी “मनोरमा” जी की कई किताबें पढ़ चुकी हूं। उनकी हर किताब में हर बार एक नयापन सा लगता है जो हृदय की गहराईयों तक समां जाता है। उनकी कहानी हों या कविताएं उन सभी में एक संदेश छुपा होता है। जो पाठक को प्रभावित किए बिना नहीं रह पाता। युवा लेखिका व कवियित्री प्रीति चौधरी जी वर्तमान समय में हिंदी साहित्य की बेहतरीन व उत्कृष्ट लेखिका हैं। उनके शब्दों की लिखावट व चयन करने का ढंग बहुत ही लाजवाब है। यह कह पाना बाहुल्य ना होगा कि उत्कृष्ट लेखन विधा में प्रीति चौधरी जी सर्वश्रेष्ठ लेखिका व कवियित्री हैं। अब तक के गध व पद संग्रहों में उनकी भाषा सरल, स्पष्ट व रोमांचक शब्दों से सुशोभित रही है। प्रीति चौधरी जी किसी परिचय की मोहताज नहीं है इनकी लेखनी स्वयं इनके परिचय को बयां करती है। “मां कह एक कहानी” उनका कहानी संग्रह गद्य से सुसज्जित वह सुंदर रूप है जो किसी का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेने में सक्षम है। प्राची पब्लिकेशन के सानिध्य में प्रकाशित यह संग्रह सुंदर पेज कवर से सुशोभित है जो अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
“मां कह एक कहानी” में कुल मिलाकर 57 कहानियां हैं। जो अति महत्वपूर्ण, संवेदनशील, रोमांचक आकाश है। आकाश यहां इसलिए कहा है क्योंकि इस संग्रह में विषयों की भरमार है और विषय भी वो जो हमारे इर्द- गिर्द ही घूमते हैं। जिसमें छोटी बड़ी कहानियां शामिल हैं। “मां कह एक कहानी” संग्रह की सभी कहानियां उन पाठकों के लिए किसी उपहार से कम नहीं जो प्रतिदिन कुछ ना कुछ पढ़ते रहना चाहते हैं।
57 कहानियां एक ही संग्रह में मानो गागर से सागर भर गया हो। स्वतंत्र आकाश जिसमे हर कोई पाठक उड़ना चाहेगा।
पुस्तक का नाम “मां कह एक कहानी” अर्थात मां का अनोखा, अमूल्य स्पर्श जो सामने ना होकर भी हमारे सामने है और अदृश्य रूप से हमें स्नेह व दुलार प्रदान कर रहा है।
“मां कह एक कहानी ” प्रीति चौधरी ‘मनोरमा’ जी का चौथा एकल गद्य संग्रह है जो उन्होनें अपनी बड़ी बहन , जिन्हें वह अपना गुरु, मार्गदर्शक, प्रेरणास्रोत व सखी मानती हैं, को समर्पित किया है।
लेखिका के इस संग्रह का आरंभ बहुत सुंदर कहानी से हुआ है जिसका नाम है “मां की सीख” जो कहीं ना कहीं हमें यह सिखा रही है कि अपने कर्मों पर ध्यान दो परिणाम के विषय में मत विचार करो, वह तो स्वत: ही मिल जायेगा। दूसरी कहानी “वो झूले” कहानी की नायिका को अपना बचपन याद दिलाती है साथ ही बदलते परिवेश वह आधुनिकता की दौड़ में तेज़ी से दौड़ता समाज को बखूबी दर्शा रही है।
“सपनों का राजकुमार”, “मुहूर्त”, “भूल सुधार”, “स्वयं सिद्धा” आदि कहानियों में एक महत्वपूर्ण संदेश छुपा हुआ है। “कोई भी कार्य करने के लिए जीतने का जज़्बा ,,,मन की अडिग चाह,,और कभी ना डिगने वाला आत्मविश्वास।” यह लेखिका ने अपनी कहानियों में बहुत सुंदर ढंग से बताया है। उन्हीं के शब्द हैं जिन्होंने मुझे प्रभावित किया है।
“मोबाइल में खोता बचपन” आज जो परिस्थितियां हैं उनको उजागर किया गया है।
“भिखारी”, “आराध्य”, “रंगमंच”,”तेरे आंसू”,”भेदभाव” , “अच्छी खबर” जब पाठक पढ़ेंगे स्वयं लेखिका प्रीति चौधरी जी की लेखनी की तारीफ किए बिना ना रह पायेगें।
सशक्त व उत्साहित कर देने वाला लेखन है लेखिका का जो समाज के हर मुद्दे को अपनी कहानियों में स्थान देने को आतुर हुआ है।
57 कहानियों में से यदि कोई मुझसे कहे कि कोई एक कहानी का चुनाव करो तो मेरे ज़हन में इसका कोई उत्तर नही होगा क्योंकि प्रीति जी की प्रत्येक कहानी में से किसी एक का चुनाव करना मेरे लिए संभव नहीं हैं। हर एक कहानी लाजवाब हैं। साथ ही बेहद महत्वपूर्ण मुद्दों को समाज के समक्ष प्रस्तुत करने में समक्ष भी। हृदय स्पर्श करती कहानी “वो खत” समाज के एक ऐसे रुप को दिखा रही है जो आज रिश्तों में घुलता जा रहा है। जिसका ज़हर रिश्तों में फैलकर उनकी चमक को धीरे धीरे खो रहा है। “रिश्तों की तानाशाही”, ” वक्त” ,”गलती की सज़ा”,”वो मेरा ध्रुवतारा”,”दुख सुख”,” प्रेम के साथ क्रोध भी ज़रूरी”,”बेटियां क्यूं पराई” आदि कहानियां पाठकों को पढ़ने के बाद ही समझ में आ जायेंगी कि लेखिका ने किस प्रकार समाज के उन बेहतरीन मुद्दों पर कहानियां लिखी हैं जो हमारे घर के आंगन से शुरू होकर जीवन भर हमारे साथ चलती हैं।
दो पंक्तियां यहां मैं कवियित्री व लेखिका के विषय में कहना चाहूंगी:
“शब्दों की भाषा बेमिसाल आपकी,
हृदयों को छू लेने की कला और
उज्जवल लेखनी आपकी।
अक्षरों से मिलकर जिस प्रकार बनते शब्द,
उसी प्रकार भावों से ओतप्रोत कहानियां आपकी।।
प्रत्येक कहानी में छुपा है संदेश,
वाणी सरल और देता ज्ञान का संदेश।
“मां कह एक कहानी”,
मां की ममता की याद दिलाती है,
हाथों में हमारे आकर
हमारी हो जाती है।।
प्रेरणादायक व स्नेह वात्सल्य से भरी कहानियां आपकी,
सुंदर , मधुरम फूलों की माला सी
महकती कहानियां आपकी।।”
शायद इसलिए प्रीति जी ने अपने संग्रह का नाम “मां कह एक कहानी ” रखा है। जिसे होंठों पर लाते ही मां की खूशबू से हम सभी सराबोर हो जाएं और महसूस करें उस मां के आंचल को जिसके कारण आज हम इस संसार का हिस्सा बन पा रहें हैं।
करीब से जानने के लिए एक बार इस संग्रह के पन्नों को खोलकर पढ़ना होगा।
अपनी धैर्यवान लेखनी से आज तक सबको मोहित कर देने वाली प्रीति जी की “मां कह एक कहानी” भी पाठकों की पसंद बनने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। आपको आने वाली अनेक पुस्तकों के लिए अनंत साधुवाद एवं शुभकामनाएं। हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए आने वाले संग्रहों की प्रतीक्षा करेंगे। “मां कह एक कहानी” (कहानी संग्रह) पाठकों को अमेजन, फ्लिपकार्ट, एवं प्राची पब्लिकेशन के वेबसाइट पर सरलता से उपलब्ध हो जायेगा।

शाहाना परवीन “शान”…✍️
shahana2020parveen@gmail.com
फोन. 9876850264
पटियाला,पंजाब।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments