आध्यात्मिक सत्संग के दूसरे दिन स्वामी मुक्तानंद ने सुनाई समुद्र मंथन की कथा

महेंद्रगढ़, 8जून(अमरसिंह सोनी)
श्री गीता साधक मंडल महेंद्रगढ़ की ओर से स्थानीय कमला भवन धर्मशाला में गत दिवस 6जून से चल रहे 6 दिवसीय आध्यात्मिक सत्संग के दौरान श्री गीता कुटीर आश्रम हरिद्वार से पधारी स्वामी गीतानंद भिक्षु की परम शिष्या स्वामी मुक्तानंद महाराज ( गार्गी जी ) ने 54 संगीतमय हनुमान चालीसा पाठ करवा कर दूसरे दिन के प्रवचन का आगाज किया अर्थात सत्संग में उपस्थित सभी भक्तों के द्वारा 54-54  हनुमान चालीसा पाठ किए गए।

कथा सुनते भक्तगण


अपने दूसरे दिन के प्रवचन के दौरान मुक्तानंद जी ने भक्तों को समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए बताया कि सभी देवताओं एवं राक्षसों ने मिलकर क्षीरसागर में समुद्र मंथन किया तो इस दौरान उन्होंने मंदराचल पर्वत को मथनी और वासुकी नागराज को रस्सी बनाया। इस मंथन से पहले कालकूट नामक विष भी निकला जिसे भगवान शिव पी गए और वे नीलकंठ कहलाए‌। उन्होंने बताया कि समुद्र मंथन के दौरान 14अन्य  प्रकार के रतन भी प्राप्त हुए तथा इस दौरान भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके सभी देवताओं को अमृत पिलाया  और राक्षसों को विष पिला दिया। उन्होंने कहा कि राहु नाम के असुर ने चोरी से देवताओं की पंक्ति में बैठकर अमृतपान कर लिया था परंतु जब सूर्य और चंद्र ने बताया कि यह असुर है तो विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु  के सर को धड़ से अलग कर दिया किंतु अमृतपान कर लेने के कारण राहु के दोनों हिस्से( सर-धड़ )राहु और केतु के नाम से अमर हो गए। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार से ज्ञान अमृत पीने से भी मनुष्य को अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती है।
इस अवसर पर सेठ भारत भूषण मंडी, बसंत गोयल ,शंकरलाल सोलूवाला, भरत खुराना, उमा खुराना, मनोज मोदी, शिवशंकर गर्ग सिब्बी, गौरव सोलूवाला ,हरिराम मेहता, बुद्धिप्रकाश एडवोकेट, लक्ष्मण धरसूंवाला, विनोद दादरी वाले, कैलाश धरसूंवाला, सुनील शास्त्री, अमरसिंह सोनी, ओमप्रकाश मोदी,हरिप्रकाश मोदी,नरेश सोलूवाला,अमित मेहता, सतीश श्रवण, रामप्रताप जांगिड़, नीरज तिवाड़ी,मोहन जोशी सहित अनेक भक्तगण उपस्थित थे ।

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