-राजेश पाण्डेय वत्स
बालपन बीस-बीस,घंटा भी नयन मूँदा,
कहती थी माँ भी तुम्हें,
शिशुओं को सुलाओ न!
यौवन के आते-आते,तेरी मेरी प्रीत बढ़ी,
अश्व बेच सोता जैसे,
वही आँखो में लाओ न!
शुभ रात्रि बेला मान,देकर के वरदान,
आओ-आओ पलकों में, कदम सरकाओ न!
दूर खड़ी अभिमानी,सुन ओ निंदिया रानी,
जीवन की गोधूलि में,
ज्यादा अब सताओ न!
-राजेश पाण्डेय वत्स!छग
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