Friday, June 13, 2025
Homeकला,साहित्य,संस्कृति व संगीतराजेश पाण्डेय वत्स की कविता

राजेश पाण्डेय वत्स की कविता

सौम्य सवेरा
छंद-मनहरण घनाक्षरी

सूरज का उग्र रूप, ग्रीष्म की प्रचंड धूप,
अच्छे-अच्छे गोरों का भी,
रंग हुआ साँवला!

घर में न बाहर में,चैन न दोपहर में,
शीत छाँह खोजने को,
मन है उतावला!

आम नीम सीना तान,चुपचाप सावधान,
पेड़-पौधे डोले नहीं,
शांत खड़ा आँवला!

जंतुओं की चतुराई,पत्तों बीच अमराई,
छुप कर बैठा वत्स,
बंदर वो बावला!– राजेशपाण्डेवत्स,डभरा,छग.                                                               

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments