नारनौल, 8 जून (परमजीत सिंह/गजेन्द्र यादव)।
जल जीवन मिशन के तहत जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से गांव-गांव जाकर पेयजल स्रोतों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जिला सलाहकार मंगतु राम सरसवा ने जानकारी देते हुए बताया कि मोबाइल वाटर टेस्टिंग लैब ने जिला महेन्द्रगढ़ के खंड निजामपुर के विभिन्न गांवों हसनपुर, रामबास, मारोली, कारोली, धानौता, दनचौली, बामनवास व आजमाबाद मौखुता में पेयजल के नमूनों की मौके पर ही रासायनिक जांच की। यह वैन 30 जून तक जिले के गांवों का दौरा करेगी। सोमवार से शनिवार को गांव गांव जाकर पेयजल स्रोत की जांच की जा रही है। जिला महेन्द्रगढ़ के 509 स्रोत जांच करने का लक्ष्य है। पेयजल की जांच के समय ग्राम जल एवं सीवरेज समिति के सदस्य व स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी पेयजल जांच के बारे में अवगत कराया जाता है।
इस अवसर पर खंड संसाधन संयोजक अशोक यादव ने ग्रामीणों को बीआईएस 10500 मानक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह मानक भारत सरकार द्वारा निर्धारित पेयजल गुणवत्ता का प्रमुख मापदंड है, जिसके अनुसार पेयजल में पाए जाने वाले तत्वों की मात्रा और सुरक्षित सीमा तय की गई है। उन्होंने ग्रामीणों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल के महत्व को समझाया और जलजनित रोगों से बचाव के उपाय भी साझा किए।
मोबाइल लैब के लैब असिस्टेंट उज्ज्वल कुमार ने बताया कि यह प्रयोगशाला अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित है, जो मौके पर ही पानी की जांच करके लोगों को उसकी गुणवत्ता की रिपोर्ट देती है। उन्होंने बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर घर और गांव में लोगों को पीने के लिए सुरक्षित, स्वच्छ और गुणवत्तापूर्ण जल उपलब्ध हो।
जनस्वास्थ्य विभाग की यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल सुरक्षा के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने और स्वास्थ्य संरक्षण की दिशा में एक प्रभावी कदम है। विभाग की टीमें नियमित रूप से गांवों में जाकर पेयजल स्रोतों की जांच कर रही हैं ताकि जलजनित बीमारियों पर समय रहते रोक लगाई जा सके।
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