Monday, June 16, 2025
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हकेवि के विधि विभाग में ‘विमर्श’ व्याख्यानमाला के अंतर्गत विद्यार्थी करियर के बहुआयामी अवसरों से हुए अवगत

महेंद्रगढ़,13 जून (परमजीत सिंह/शैलेन्द्र सिंह)।
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के विधि विभाग द्वारा जारी ‘विमर्श’ व्याख्यानमाला के अंतर्गत आयोजित विशेषज्ञ व्याख्यान में राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के फाइव ईयर लॉ कॉलेज की निदेशक डॉ. अंकिता यादव ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की। डॉ. अंकिता यादव ने अपने संवादात्मक व्याख्यान में वर्तमान विधिक परिदृश्य में उपलब्ध विभिन्न करियर विकल्पों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने पारंपरिक वाद-विवाद और कॉरपोरेट लॉ से लेकर उभरते हुए क्षेत्रों जैसे लीगल टेक्नोलॉजी, नीति-निर्माण और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता तक के अवसरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि आज के विधि विद्यार्थी सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में पहले से कहीं अधिक अवसरों के द्वार पर खड़े हैं। डॉ. अंकिता यादव ने कहा कि आप केवल विधिक विशेषज्ञ नहीं, बल्कि न्याय और सामाजिक परिवर्तन के संरक्षक हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से प्रो बोनो कार्य, कानूनी सहायता पहलों और जनहित याचिकाओं को अपने पेशेवर जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने का आग्रह किया।
व्याख्यान में सत्र की अध्यक्षता करते हुए विधि विभाग के विभागाध्यक्ष एवं अधिष्ठाता डॉ. प्रदीप सिंह ने विशेषज्ञ वक्ता के विचारों की सराहना करते हुए कहा कि यह ‘विमर्श’ श्रृंखला के उद्देश्यों के साथ पूर्णतः मेल खाता है, जिसका लक्ष्य शैक्षणिक ज्ञान को वास्तविक विधिक अभ्यास से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि ऐसे संवाद विधि विद्यार्थियों को पेशेवर दुनिया में प्रवेश करने से पूर्व व्यवहारिक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। आयोजन में व्याख्यान के बाद विशेषज्ञ वक्ता ने प्रश्नोत्तर सत्र के माध्यम से विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। इसने ‘विमर्श’ की उस परंपरा को सुदृढ़ किया जिसमें छात्र और विधिक विशेषज्ञों के बीच सार्थक संवाद को प्राथमिकता दी जाती है।
डॉ. प्रदीप सिंह ने बताया कि ‘विमर्श’ का विस्तार करते हुए इसे ‘भारत एट 2047’ के विजन से भी जोड़ने की योजना है। उन्होंने कहा कि यह पहल केवल विधिक शिक्षा नहीं बल्कि राष्ट्र-निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। ‘विमर्श’ एक ऐसा थिंक-टैंक बनेगा जहाँ शैक्षणिक जगत, नीति-निर्माता, विधिक विशेषज्ञ और विद्यार्थी मिलकर आज़ादी के सौवें वर्ष तक के विकास पथ पर मंथन करेंगे। डॉ. सिंह ने सभी पात्र विद्यार्थियों को स्मरण दिलाया कि एल.एल.बी. एवं एल.एल.एम. पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अंतिम तिथि 23 जून, 2025 है। उन्होंने भावी विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे इस प्रेरणादायक शैक्षणिक वातावरण का हिस्सा बनें, जहाँ ‘विमर्श’ जैसी पहलें उन्हें न केवल श्रेष्ठ विधिक विशेषज्ञ बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों से युक्त नागरिक भी बनाएँगी।
फोटो: विशेषज्ञ व्याख्यान में मुख्य वक्ता डॉ अंकिता यादव के साथ शिक्षक एवं विद्यार्थी।

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