महेंद्रगढ़,16 जून (परमजीत सिंह/शैलेन्द्र सिंह)।
राजकीय मॉडल संस्कृति विद्यालय अटेली मंडी में निपुण भारत मिशन के अंतर्गत नई शिक्षा नीति-2020 के अनुसार कक्षा 1 से 3 के शिक्षकों के लिए एक व्यापक प्रशिक्षण शिविर चलाया जा रहा है। इस शिविर का उद्देश्य शिक्षकों के बीच आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (एफएलएन)को बढ़ाने के लिए उन्हें नवीन शिक्षण विधियों और रणनीतियों से लैस करना है।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) महेंद्रगढ़ से निरीक्षण करने पहुंचे प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत यादव ने बताया कि नई शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत कक्षा एक से तीन के विद्यार्थियों की बुनियाद मजबूत करने के लिए उनके अध्यापकों को नई-नई विधियों का इस्तेमाल करने, गणित, भाषा, अंग्रेजी और हिंदी में निपुणता प्रदान करने के लिए विभिन्न केआरपी द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण हित धारक हैं। वही इस मिशन को, इसके उद्देश्यों को, इसकी भूमिकाओं को सभी तक लेकर जाएंगे। इसलिए विभाग द्वारा सभी शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिससे बच्चे मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान में निपुण हो सकें और उन्हें जीवन में आगे चलकर समस्याओं को समझने में आसानी हो।
मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत यादव का कहना है कि
आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता की अवधारणा बच्चे की सीखने की यात्रा का आधार बनती है। एफएलएन यह सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देता है कि बच्चे अपनी शिक्षा के शुरुआती वर्षों में मौलिक साक्षरता (पढ़ना और लिखना) और संख्यात्मकता (गणित) कौशल विकसित करें। इन मूलभूत क्षमताओं को अत्यधिक आवश्यक माना जाता है क्योंकि वे बच्चे के समग्र संज्ञानात्मक विकास को सुनिश्चित करते हैं और अगले वर्षों में सीखने के उन्नत स्तरों के लिए आधार के रूप में काम करते हैं। आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (एफएलएन) को आमतौर पर औपचारिक शिक्षा के शुरुआती वर्षों, जैसे कि प्री स्कूल या प्राथमिक विद्यालय के पहले कुछ वर्षों के दौरान पेश किया जाता है क्योंकि बच्चे अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान इन आधारभूत कौशलों को सीखने के लिए अधिक ग्रहणशील होते हैं। श्री यादव कहते हैं कि एक बार जब छात्र बुनियादी कौशल में पिछड़ जाते हैं, तो वे शायद ही कभी आगे बढ़ पाते हैं, और जो छात्र स्कूल के अपने शुरुआती वर्षों में संघर्ष करते हैं, वे बाद में बहुत कम ही आगे बढ़ पाते हैं।
इसलिए, प्रारंभिक हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है। कुल मिलाकर, आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (एफएलएन) की अवधारणा को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह बच्चे की आगे की शिक्षा तक पहुँचने की क्षमता के लिए मंच तैयार करती है।साक्षरता और संख्यात्मकता में मजबूत आधारभूत कौशल के बिना, बच्चे जीवन के विभिन्न पहलुओं में संघर्ष कर सकते हैं। भारत भर के आँगनवाड़ी केंद्रों से जहाँ बचपन की शिक्षा को बढ़ावा दिया जाता है, वहीं प्री-स्कूल और प्राथमिक विद्यालयों में एफएलएन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए, नीति, हितधारक, सरकार, सामाजिक संगठन, निजी स्कूल, सभी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे और अच्छी खबर यह है कि भारत में आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता में पहले से ही बहुत प्रगति हुई है।
शिक्षक प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान का उपयोग विद्यालय में कर शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाएं
सूर्यकांत यादव ने दूसरे चरण के प्रशिक्षण शिविर में अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान में बच्चों को मजबूत करना विभाग का प्रमुख लक्ष्य है। इसीलिए प्रशिक्षण के माध्यम से नवीन अवधारणाओं के प्रति शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। शिक्षक इस अवधारणा के अनुरूप बच्चों को बुनियादी रूप से प्रारंभिक स्तर पर मजबूत करने पर ध्यान दें। अतः शिक्षक मनोयोग से निर्धारित समयावधि में दक्षताएं पूर्ण करने, कौशल विकसित करने एवं गुणवत्ता लाने के लिए प्रशिक्षण शिविर से प्राप्त ज्ञान का उपयोग विद्यालय में कर शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कार्यशील रहें। इस अवसर पर डाइट से विषय विशेषज्ञ मैडम संयोगिता एवं विभिन्न केआरपी मौजूद रहे।
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