सौम्य सवेरा (छंद- रूपघनाक्षरी)

                                 #राजेशपाण्डेयवत्स
बादल कटोरा बंद,मेंढ़क ढिंढोरा बंद,
कृषक है सोचे बैठे,
जन किलकारी बंद!

नदी नाला धार बंद,धरती सिंगार बंद,
बरखा की राह तके,
जिसकी पिटारी बंद!

झिंगुर झंकार बंद,पपीहा पुकार बंद,
बूँद झरहरी बंद,
सब बारी-बारी बंद!

बंद नहीं इन्द्र गान,नहीं होना परेशान,
राम कहे वत्स मेरे,
अब सिसकारी बंद!

-राजेश पाण्डेय वत्स,डभरा,छग!
#newsharyana

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