25 जून,(परमजीत सिंह)।
आपातकाल के पचास वर्ष पूरे होने पर हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में ‘संविधान हत्या दिवस‘ का आयोजन किया गया। आयोजन का उद्देश्य युवा पीढ़ी को आपातकाल के दौरान लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन से अवगत कराना था। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेशवर कुमार ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक ऐसा काला अध्याय है, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की स्वायत्तता एवं नागरिक अधिकारों का दमन हुआ। यह दिन हमें संविधान की मूल भावना की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहने की प्रेरणा देता है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के समकुलपति प्रो. पवन कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि आपातकाल हमें यह स्मरण कराता है कि लोकतंत्र केवल एक व्यवस्था नहीं, बल्कि नागरिकों की जागरूकता और सक्रिय भागीदारी से पोषित होता है। विश्वविद्यालयों को इस चेतना का केंद्र बनना चाहिए। कार्यक्रम की रूपरेखा डॉ. रवि पाण्डेय द्वारा प्रस्तुत की गई। उन्होंने सभी अतिथियों, कुलपति, सम-कुलपति, अधिष्ठाता एवं विभागाध्यक्षों का स्वागत किया और कार्यक्रम के उद्देश्य तथा महत्व को रेखांकित किया।
कार्यक्रम में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आपातकाल पर तैयार की गई एक सूक्ष्म चलचित्र का प्रदर्शन किया गया। साथ ही, संस्कृति मंत्रालय द्वारा भेजी गई विशेष प्रदर्शनी को भी लगाया गया, जिसने आपातकाल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और प्रभावों को दर्शाया। कार्यक्रम में कुमारी तृप्ति सैनी ने कार्यक्रम का विषय प्रस्तुत करते हुए आपातकाल के दौरान संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर पड़े प्रभावों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन सुप्रिया यादव द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रो. पायल चंदेल, प्रो. रंजन अनेजा, प्रो. राजेन्द्र मीणा, डॉ. नरेंद्र सिंह सहित विश्वविद्यालय की विभिन्न पीठों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।