हरियाणा की नारी शक्ति का उदाहरण बना प्रगतिशील टैगोर स्वयं सहायता समूह

महेंद्रगढ़, 5 जुलाई (परमजीत सिंह/विष्णु शर्मा)।
विश्व मंच तक पहुंची बनारसी देवी के नेतृत्व की असाधारण गाथा

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हरियाणा का नाम रोशन कर रही बवानिया गांव की खिचड़ी

हरियाणा के कनीना खंड के गांव बवानिया से निकली प्रगतिशील टैगोर स्वयं सहायता समूह की कहानी आज पूरे प्रदेश और देश की महिलाओं के लिए एक अमर प्रेरणा बन चुकी है। यह कहानी है बनारसी देवी और उनके समूह की उन मेहनती महिलाओं की जिन्होंने अपने सामूहिक प्रयास, अटूट विश्वास और हरियाणा सरकार की दूरदर्शी नीतियों के सहयोग से आत्मनिर्भरता की एक नई इबारत लिखी है। आज यह समूह न केवल 300 से अधिक महिलाओं को सम्मानजनक रोजगार दे रहा है बल्कि उनके द्वारा निर्मित उत्पादों की ख्याति देश की सीमाओं को लांघकर अमेरिका और जापान जैसे दूर देशों तक पहुंच चुकी है।

सहायता समूह द्वारा निर्मित सामान

इस स्वयं सहायता समूह की यात्रा वर्ष 2001 में शुरू हुई जब बनारसी देवी ने अपने गांव की महिलाओं को संगठित कर आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा। इसी सपने को साकार करने के लिए उन्होंने प्रगतिशील टैगोर स्वयं सहायता समूह की नींव रखी। 2005 से इस समूह की विकास यात्रा ने गति पकड़ी। वर्ष 2017 में समूह को औपचारिक रूप देते हुए उन्होंने पहला कदम उठाया। उन्होंने गांव की महिलाओं को अचार बनाने का कौशल सिखाया। इस शुरुआती सफलता से उत्साहित होकर समूह की महिलाओं को करनाल स्थित बागवानी प्रशिक्षण संस्थान में उन्नत प्रशिक्षण के लिए भेजा जहां उन्होंने उत्पादों की गुणवत्ता और पैकेजिंग के गुर सीखे।
हरियाणा सरकार के राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का सहयोग समूह के लिए एक गेम-चेंजर साबित हुआ। इसी योजना के तहत 2021 में समूह को दाल प्रसंस्करण के लिए एक मिनी दाल मिल उपलब्ध करवाई गई जिसने उनके उत्पादन क्षमता में क्रांति ला दी। धीरे-धीरे समूह ने अपनी गतिविधियों का विस्तार किया और महिला किसान संगठन से जुड़कर मोटे अनाज (मिलेट्स) और ऑर्गेनिक उत्पादों के उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया। बनारसी देवी के कुशल नेतृत्व में समूह की महिलाओं ने बाजरे, ज्वार, रागी से बने स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद जैसे बाजरा खिचड़ी, बेसन, हल्दी व मसाले, तेल और गुड़ तैयार करना सीखा।

बिक्री के लिए तैयार समान, समूह द्वारा निर्मित किया गया

आज इस समूह की कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का ही नतीजा है कि उनके उत्पादों की मांग न केवल हरियाणा बल्कि दिल्ली, चंडीगढ़, गुजरात, गोवा, जापान, अमेरिका और सिंगापुर जैसे देशों तक पहुंच चुकी है। समूह द्वारा तैयार की गई बाजरा खिचड़ी अपनी पौष्टिकता और स्वाद के कारण इतनी लोकप्रिय हुई है कि यह अब अमेरिका तक पहुंच चुकी है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हरियाणा का नाम रोशन कर रही है।
प्रगतिशील टैगोर स्वयं सहायता समूह ने केवल अपने सदस्यों को ही सशक्त नहीं किया बल्कि बनारसी देवी के नेतृत्व में उन्होंने अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का मार्ग प्रशस्त किया है। समूह ने हरियाणा और राजस्थान में समय-समय पर प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर 100 से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार स्थापित करने का मार्गदर्शन दिया है। इन शिविरों में महिलाओं को मोटे अनाज से विभिन्न खाद्य उत्पाद तैयार करने का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है जिससे वे भी आत्मनिर्भर बन सकें।

समूह के सदस्य महिलाएं पापड़ आदि बनाती हुई

बनारसी देवी का योगदान केवल आर्थिक सशक्तिकरण तक ही सीमित नहीं है। उनकी समाज सेवा, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में उनके अभूतपूर्व योगदान को हरियाणा सरकार ने भी खुले दिल से सराहा है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उन्हें सम्मानित किया।

अब किसान उत्पादक संगठन बनाने की योजना

हरियाणा के कृषि विज्ञान केंद्र से मिले मार्गदर्शन ने प्रगतिशील टैगोर स्वयं सहायता समूह के छोटे से प्रयास को एक बड़े आंदोलन का रूप दे दिया है। भविष्य की ओर देखते हुए समूह एक किसान उत्पादक संगठन बनाने की योजना पर भी कार्य कर रहा है। यह पहल न केवल बवानिया बल्कि पूरे महेंद्रगढ़ जिले की ग्रामीण महिलाओं को लाभान्वित करेगी और उन्हें स्थायी रोजगार के अवसर प्रदान करेगी। यह कदम हरियाणा सरकार की कृषि और ग्रामीण विकास नीतियों के अनुरूप है जो किसानों और विशेषकर महिला किसानों को संगठित कर उन्हें बाजार से सीधे जोड़ने पर केंद्रित है।
इस समूह में प्रधान भागवंती, सचिव कृष्णा देवी, कोषाध्यक्ष रेखा देवी, चलती, माया, सविता, मंजु, राजबाला, सुमन, सुषमा, रेनू यादव, गायत्री, सविता, रेनू देवी, संतोष, ललिता देवी जैसी कई सशक्त महिलाएं महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

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