महेंद्रगढ़, 6जुलाई (शैलेन्द्र सिंह)।
बार एसोसिएशन महेंद्रगढ़ के पूर्व सचिव आलोक खैरवाल ने बताया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया की सात सदस्यीय समिति ने देश के अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए एडवोकेट्स प्रोटेक्शन एक्ट संबंधी रूपरेखा व ड्राफ्ट बिल तैयार कर लिया है।
इस बात की जानकारी बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन वरीय अधिवक्ता मनन कुमार मिश्र ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी है।
एक्ट में 16 धाराएं
इस बिल में कुल 16 धाराएं बनायी गयी है।प्रस्तावित बिल के अनुसार किसी भी अधिवक्ता या उसके परिवार को किसी प्रकार की क्षति या चोट पहुंचाने, धमकी देने, उसके मुवक्किल द्वारा दिये गये किसी प्रकार की सूचना का खुलासा करने के लिए पुलिस या किसी पदाधिकारी के द्वारा अनुचित दवाव देना या किसी वकील को किसी मुकदमे में पैरवी करने से रोकने का दवाव या वकील की संपत्ति को किसी रूप में नुकसान पहुंचाने या किसी भी वकील के विरुद्ध अपशब्द या अपमानजनक शब्द बोलने,वकील को धमकी देने आदि।
वकील के खिलाफ अपराध गैर-जमानतीय व संज्ञेय अपराध
अधिवक्ताओं के विरुद्ध उक्त अपराध गैर-जमानतीय व संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आयेंगे, जिसकी जांच पुलिस के उच्च अधिकारी करेंगे, अधिवक्ताओं को जरूरत पड़ने पर पुलिस द्वारा समुचित सुरक्षा मुहैया कराने का प्रावधान है। इसके लिए कोर्ट में आवेदन देना होगा।
इस पर संबंधित अधिवक्ता के आचरण की जानकारी लेकर पुलिस को सुरक्षा देने को निर्देश दिया जायेगा।अधिवक्ता को एक बार उपलब्ध करायी गयी पुलिस सुरक्षा, तब तक वापस नहीं होगी जब तक संबंधित कोर्ट उसे वापस लेने का निर्देश नहीं देता है। अधिवक्ताओं के कत्र्तव्यों के निर्वहन में किसी प्रकार की त्रुटि होने पर अधिवक्ता जिम्मेदार नहीं ठहराया जायेगा, कोई भी पुलिस अधिकारी किसी भी अधिवक्ता को गिरफ्तार नहीं कर सकता। तब तक गिरफ्तार नहीं करेगा, जब तक मुख्य दंडाधिकारी का स्पष्ट आदेश गिरफ्तार करने का नहीं हो।
बिल में यह भी
प्रस्तावित है कि किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा की स्थिति में राज्य व केंद्र सरकार हरेक जरूरतमंद वकील को आवश्यकतानुसार कम से कम 15000 रुपया प्रति माह आर्थिक सहायता प्रदान करेगी।
वकीलों का बीमा और स्वास्थ्य सुरक्षा
केंद्र और राज्य सरकार को अधिवक्ताओं के लिए बीमा, चिकित्सा सुविधा, समेत सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं को लागू करने का प्रावधान करने को कहा गया है। मिश्र ने बताया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया का प्रयास होगा कि संसद से इस बिल को जल्द पास करा लिया जाये।
वकील के खिलाफ अपराध में सजा
वकील के खिलाफ अपराध करने पर 6 माह से 2 वर्ष तक की सजा
तथा 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
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