नई दिल्ली, 10जुलाई (शैलेन्द्र सिंह/ब्यूरो)।
महाराष्ट्र के ठाणे के एक प्राइवेट स्कूल में कक्षा 5 से 10 तक की बच्चियों के कपड़े उतरवाकर चेकिंग की गई।
बच्चियों ने अपने पेरेंट्स को बताया कि स्कूल के टॉयलेट में खून के धब्बे मिले थे। जिसके बाद सभी लड़कियों को कन्वेंशन हॉल में बुलाया गया और प्रोजेक्टर पर खून के धब्बों की तस्वीरें दिखाई गईं।
इसके बाद लड़कियों से पूछा गया कि किस-किस को अभी पीरियड्स हो रहे हैं। जिन लड़कियों ने हां में जवाब दिया, उनकी उंगलियों के निशान लिए गए। जिन लड़कियों ने न में जवाब दिया, उन्हें बारी-बारी से टॉयलेट में ले जाकर एक-एक के कपड़े उतरवाकर प्राइवेट पार्ट्स (गुप्तांगों) की जांच की गई।
ऐसी बातें करते हुए भी शर्म आती है।आखिर किसने अधिकार दिया स्कूल प्रशासन को कि बच्चियों के प्राइवेट पार्ट्स की जांच करें, उनके कपड़े उतरवाए, उन्हें नंगा करें। यह बहुत ही शर्मनाक व खटिया किस्म की हरकत है। चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए ऐसा करने वालों को। महाराष्ट्र सरकार क्या कर रही है? ऐसे स्कूल के मान्यता सदा-सदा के लिए रद्द कर देनी चाहिए। यह है देश के बड़े राज्यों में से एक महाराष्ट्र की कहानी।
पेरेंट्स की शिकायत के बाद पुलिस ने प्रिंसिपल को हिरासत में ले लिया है।
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