महेंद्रगढ़, 16 जुलाई(शैलेन्द्र सिंह)।
आज सैन समाज धर्मशाला में हरियाणा सम्राट बाजे भगत जयंती बनाई गई। उनके चित्र पर फुल अर्पित करते हुए जिला कष्ट निवारण समिति सदस्य एवं प्रधान हल्का सैन समाज शहर व परगना सुन्दर लाल आसोदिया ने बताया की बाजे भगत ने भारतीय साहित्यकार, कवि, रागनी गायक, सांग कलाकार और हरियाणवी संस्कृति को दुर-दराज श्रेत्र तक ले जाने का काम किया।वे सभी जातियों के दिलों में राज करतें थे। उनका एक लेख आज भी याद है ” जाता -पात पुछत नहीं कोई।
हरि को भजो,सो हरि का होई।।
कवि बाजे भगत जी सैन समाज की अनुपम धरोहर थे । पूरे हरियाणा में कवि बाजे भगत जैसा साहित्यकार कोई नहीं था । हरियाणा में सबसे पहले पंडित लख्मीचंद और सैन बाजे भगत हुए दोनों ही कला साहित्य में एक दूसरे का साथ देते थे। दोनों बहुत ही सुंदर रागनी गाते थे।बाजेराम, जिसे जनमानस बाजे भगत कहकर पुकारता था उनका जन्म जिला सोनीपत के गांव सिसाणा में हुआ था।सांगो में अभिनय के अलावा बाजेराम सामाजिक कार्यो में भी बहुत रूचि लेते थे। भक्ति और धर्म में आस्था रखते हुए उन्होंने दान-पुण्य के कार्यो को भी बड़े मनोयोग से किया और शायद यही कारण भी रहा की वह बाजे भगत के नाम से विख्यात हुए।
उन्होंने लोकगायक और सांगी के रूप में लोक भावनाओं, आकांक्षाओं और अभिलाषाओं को ह्रदयस्पर्शी भाषा प्रदान की। जनसाधारण के हर्ष-शोक, पीड़ाओं-विवशताओं व संवेदनाओं को छंद व गीतों में ढालकर मधुर कण्ठ से गाया तो श्रोतावर्ग मन्त्रवमुग्धा हो उठते थे। उनके द्वारा रचित लोकगीत, लोकधुनें और लोकनाट्य आज भी संस्कृति प्रेमियों के ह्रदय पर राज करते थे। उनकी भाषा में माधुर्य और कोमलता के साथ-साथ हरयाणवी लोक भाषा का अभिनव रूप देखने को मिलता है। इस अवसर पर उपप्रधान धर्मपाल सैन, किशोरी लाल सैन मोहल्ला ढाणी, गुगन सैन, रामकिशन सैन, राजेश सैन, राजेंद्र सिंह सैन, मनोज सैन, सोनू जांगिड़, फतेह सिंह, जोगेन्द्र यादव, हरियाणा सैन समाज कोर कमेटी प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अंकित सैन, पवन सैन, सचिन सैन, गुगन सैन, गोपाल सैन, किशन सैन, आदि लोग उपस्थित रहे।
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