महेंद्रगढ़ , 17 जुलाई(परमजीत सिंह/शैलेन्द्र सिंह)।
17 जुलाई को विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस के रूप में मनाया गया। यह दिवस अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर गंभीर अपराधों के खिलाफ जवाबदेही तय करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। यह दिन उन पीड़ितों की आवाज़ को बल देता है जो युद्ध अपराध, नरसंहार और मानवता के विरुद्ध अपराधों से प्रभावित होते हैं।
इतिहास पर एक दृष्टि:
17 जुलाई 1998 को रोम संविधि को अपनाया गया था, जिसके अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) की स्थापना हुई। यह पहला स्थायी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय है जो तब कार्य करता है जब राष्ट्रीय अदालतें अपराधियों को न्याय दिलाने में असमर्थ या अनिच्छुक होती हैं। 17 जुलाई को इसी उपलक्ष्य में विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
दिवस का उद्देश्य:
इस दिवस का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि युद्ध अपराध, नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध, तथा आक्रामकता जैसे गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराधों के दोषियों को दंडित किया जाए और पीड़ितों को न्याय मिले। यह न्याय, जवाबदेही और कानून के शासन को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक प्रयासों को मजबूती देता है।
कार्यक्रम व भागीदारी के सुझाव:
अंतरराष्ट्रीय न्याय प्रणाली (जैसे ICC) के कार्यों और उनके प्रभाव को समझना
-सोशल मीडिया और जन मंचों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाना
-एनजीओ, शिक्षण संस्थानों और मानवाधिकार संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेना
-मानवाधिकार और न्याय आधारित पहलों को समर्थन देना
इस अवसर पर सभी नागरिकों से आग्रह किया गया कि वे अंतरराष्ट्रीय न्याय के मूल्यों को आत्मसात करें और न्यायसंगत एवं उत्तरदायी समाज के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं।
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