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केंद्र और राज्य सरकार की साझा पहल है कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय नियामतपुर

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नांगल चौधरी, 20 जुलाई(परमजीत सिंह/ब्यूरो)।

हॉस्टल के अपने किचन गार्डन में उगाई जाती हैं सब्जियां

सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की लड़कियों को एक सुरक्षित वातावरण में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय नियामतपुर आज नई ऊंचाइयों को छू रहा है। यह विद्यालय अब शिक्षा से लेकर खेल तक अपनी छाप छोड़ रहा है।
वर्ष 2013 में स्कूल की इमारत तैयार की गई थी। 2017 में सीनियर सेकेंडरी स्कूल के पीछे दो छोटे कमरों और मात्र तीन स्टाफ सदस्यों के साथ इसकी शुरुआत हुई। साधन सीमित थे मगर लक्ष्य विशाल था। यह विद्यालय केंद्र और राज्य सरकार की एक साझा पहल थी जो विशेष रूप से कक्षा 6 से 12 तक की उन बच्चियों के लिए है जिनकी शिक्षा किसी कारणवश छूट गई थी।
नियामतपुर गांव नारनौल मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर राजस्थान की सीमा से सटा हुआ है। इस स्कूल का माहौल ऐसा है मानो प्रकृति ने खुद अपनी गोद में शिक्षा का मंदिर बनाया हो। एक तरफ शांत जंगल, दूसरी ओर शिव मंदिर और गौशाला। यहां की हवा में पढ़ाई के साथ-साथ एक अद्भुत शांति भी घुली हुई थी जो बच्चियों के मन को सुकून दे रही है।
स्कूल के साथ बना आवासीय हॉस्टल तो जैसे बच्चियों का दूसरा घर हो। साफ-सफाई, शुद्ध और पौष्टिक भोजन, सुरक्षा और अनुशासन सब कुछ अव्वल दर्जे का। सुबह का नाश्ता हो या रात का खाना हर चीज़ डाइट चार्ट के हिसाब से मिलती हैं। यहां सब्जियां हॉस्टल के अपने किचन गार्डन से आती हैं। हॉस्टल परिसर इतना सुरक्षित है कि बिना अनुमति किसी पुरुष का प्रवेश वर्जित है। माता-पिता भी सख्त नियमों का पालन करके ही अपनी बेटियों से मिल सकते हैं।
हरियाणा शिक्षा विभाग से रिटायर्ड हेडमास्टर विजय सिंह यादव ने 2021 में प्रधानाचार्य के रूप में नियुक्त होने के बाद विद्यालय ने एक नई दिशा पकड़ी। उन्होंने एक मिशन की तरह घर-घर जाकर बच्चियों का दाखिला करवाया। जहां कभी शून्य छात्राएं थीं वहां 82 बच्चियों ने एडमिशन लिया। उनकी मेहनत का फल 5 सितंबर 2022 को मिला जब महेंद्रगढ़ जिले में सबसे ज्यादा छात्रवृत्ति के लिए उपायुक्त ने उन्हें प्रशंसा पत्र दिया।

ये है विद्यालय में दाखिले की नीति

यहां अनाथ बच्चियों, एससी, बीसी, बीपीएल, सिंगल गर्ल चाइल्ड और अनेक बालिकाओं वाले परिवारों की बेटियों को प्राथमिकता दी जाती है। कोविड के दौरान माता-पिता गंवाने वाली बच्चियों के लिए भी यह विद्यालय एक नई आशा बना।

मुख्यमंत्री सौंदर्यकरण योजना में विद्यालय ने जीती 50 हजार की राशि

आज यह स्कूल चारों ओर से हरे-भरे पौधों, फूलों और औषधीय पौधों से घिरा हुआ है। इस विद्यालय को मुख्यमंत्री सौंदर्यकरण योजना के तहत विद्यालय को 50 हजार रुपए की राशि प्राप्त हुई। यह विद्यालय हरियाणा सरकार की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता हुआ एक ज्वलंत उदाहरण है यहां सिर्फ किताबें ही नहीं पढ़ाई जातीं बल्कि प्रकृति से जुड़ाव भी सिखाया जाता है।

खेल-कूद में अग्रणी बेटियों का राष्ट्रीय सफर

पढ़ाई के साथ-साथ, खेल-कूद में भी बेटियां पीछे नहीं हैं। विद्यालय में एक वॉलीबॉल नर्सरी चलाई जा रही हैं जहां बच्चियां अंडर-14, अंडर-17 और अंडर-19 श्रेणियों में अभ्यास करती हैं। नियामतपुर की खुशी ने तो नेशनल वॉलीबॉल में अपनी जगह बनाई। मोरूंड की अमीषा ने 80 मीटर बाधा दौड़ में स्टेट मेडल जीता, और गोठड़ी की मानसी ने गोला फेंक प्रतियोगिता में भाग लिया।

सीसीटीवी कैमरे के जरिए पंचकूला मुख्यालय से होती है निगरानी

सुरक्षा और स्वास्थ्य के मामले में भी कोई समझौता नहीं। पूरे परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिनकी लाइव निगरानी पंचकूला मुख्यालय से होती है। रात में पुलिस की दो बार गश्त और चौकीदार की ड्यूटी यह सुनिश्चित करती है कि बच्चियां पूरी तरह सुरक्षित हैं। चारों ओर ब्लेडेड तार की बाउंड्री और हैलोजन लाइटें परिसर को अभेद्य बनाती हैं। स्वास्थ्य विभाग साल में एक बार मुफ्त चेकअप कैंप भी लगाता है जो बच्चियों के स्वास्थ्य का ख्याल रखता है जो बिल्कुल मुफ्त होता है।

ट्रेन के डिब्बों जैसी दिखती हैं कक्षाएं

नियामतपुर का कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय सपनों की “कस्तूरबा एक्सप्रेस” है। यह स्कूल सीखने को रोमांचक बनाता है, जहां कक्षाएं ट्रेन के डिब्बों जैसी दिखती हैं। “कस्तूरबा एक्सप्रेस” और “क्लास-8” के बोर्ड बच्चों में उत्साह भरते हैं। हर कक्षा एक नया अध्याय है, जैसे यात्री नए शहर में जाते हैं। शिक्षक ज्ञान की रेलगाड़ी के चालक हैं, जो सही राह दिखाते हैं। यहां हर दिन नई सीख मिलती है, छात्राएं मिलकर आगे बढ़ती हैं। यह विद्यालय समग्र विकास पर ध्यान देता है। खेल और कला भी सिखाता है। इस स्कूल ने शिक्षा को आकर्षक बनाकर सफलता की कहानी लिखी है। बच्चे खुशी से स्कूल आते हैं और सीखने का आनंद लेते हैं। यह शिक्षा के माध्यम से लड़कियों के जीवन में बदलाव ला रहा है, “कस्तूरबा एक्सप्रेस” एक साकार सपना है।

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