नारनौल, 28 जुलाई (परमजीत सिंह/गजेन्द्र यादव)।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेन्द्र सूरा के निर्देशानुसार व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी नीलम कुमारी की अध्यक्षता में आज एडीआर सेंटर में महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम, 2013 विषय पर कर्मचारियों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया।
सीजेएम नीलम कुमारी ने महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम, 2013) विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि यह अधिनियम कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने और निवारण के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है। इस अधिनियम के तहत, कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच और निवारण के लिए आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) का गठन किया जाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम, 2013) एक महत्वपूर्ण कानून है जो कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा को सुनिश्चित करता है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान राज्य 1997 मामले में एक ऐतिहासिक निर्णय में ‘विशाखा दिशा-निर्देश’ जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (“यौन उत्पीड़न अधिनियम”) को आधार बनाया। उन्होंने बताया कि अधिनियम कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न को रोकने और प्रतिबंधित करने के लिए नियोक्ताओं पर कानूनी दायित्व डालता है व यौन उत्पीड़न की शिकायतें प्राप्त करने और उनका समाधान करने के लिए नियोक्ताओं को 10 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रत्येक कार्यस्थल पर एक आंतरिक शिकायत समिति का गठन करना आवश्यक है। सभी कर्मचारियों को जिला न्यायालय व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नारनौल में गठित आंतरिक शिकायत समिति की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी गई।
इस मौके पर अधिवक्ता गिरिबाला यादव ने भी अधिनियम के बारे में जानकारी दी।
इस मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ता मौजूद थे।
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