नारनौल, 29 जुलाई (परमजीत सिंह/गजेन्द्र यादव)।
खण्ड अटेली के गांव नांगल में मंगलवार को ग्वार फसल पर कृषि विभाग व हिंदुस्तान गम एंड केमिकल के तत्वावधान में ग्वार फसल हेल्थ प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। कृषि गोष्ठी में जिला बागवानी अधिकारी डा. प्रेम यादव मुख्य अतिथि रहे।
जिला बागवानी अधिकारी डा. प्रेम यादव ने कहा कि हरियाणा में बागवानी को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार और बागवानी विभाग लगातार इस पर काम कर रहा है ताकि हरियाणा के किसान बागवानी को अपनाकर अपने आप को समृद्ध बना सके। उन्होंने कहा कि लेकिन बागवानी में कई प्रकार की आपदाओं से फसल बर्बाद हो जाती है जिसे किसानों को काफी नुकसान होता है। ऐसे में आपदा से निपटने के लिए बागवानी विभाग ने मुख्यमंत्री बागवानी फसल बीमा योजना चलाई गई है। इसमें किसानों को नाम मात्र प्रीमियम पर हजारों रुपए मुआवजा राशि दी जाती है। जिला बागवानी अधिकारी ने बताया कि विभाग के द्वारा फसलों को सुरक्षित रखने के लिए नाम मात्र प्रीमियम लिया जाता है, जिसके चलते 26 से 50 प्रतिशत तक सब्जी और मसालों के लिए 15000 रुपए प्रति एकड़ मुआवजा राशि दी जाती है, जबकि इससे ज्यादा नुकसान होने पर 30 हजार रुपए प्रति एकड़ नुकसान के लिए मुआवजा दिया जाता है। फलों के लिए 50 प्रतिशत से कम नुकसान के लिए 20 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाता है, जबकि 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान पर 40 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाता है लेकिन वो ही किसान इसका फायदा उठा सकते हैं जिन्होंने अपनी फसल का पंजीकरण करवाया है और प्रीमियम भरा हुआ हो। विभाग की ओर से खजूर, अमरूद, किनू सहित अनेक फलदार फसलों पर सब्सिडी मिलती है।
इस मौके पर ग्वार विशेषज्ञ डा. बीडी यादव ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में मौसम में अधिक नमी बढ़ने से ग्वार फसल में सफेद मक्खी, हरा तेला तथा जीवाणु अंगमारी रोग का प्रकोप बढ़ गया है। किसान बैगर चिकित्सक सिफारिश दवाइयों का इस्तेमाल न करें इससे फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। किसानों ग्वार फसल में कीटों व फंगस की बीमारियों के उपाय के बारे में कृषि वैज्ञानिक व अधिकारियों की सलाह पर ही दवा खरीदें।
बीमारी को कैसे पहचाने
ग्वार विशेषज्ञ डा. बीडी यादव ने कहा कि जीवाणु अंगमारी रोग की शुरुआती अवस्था में किनारी पतों का पीला होना तथा बाद में धीरे-धीरे पत्तों की किनारी काली हो जाती है। अधिक बारिश व नमी के चलते ज्यादातर पत्तों का हिस्सा काला हो जाता है। इसकी रोकथाम के लिए 30 ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लिन व 400 ग्राम कापरी आक्सीक्लोराइड को 200 लीटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ छिडक़ाव करें। अगर इन बीमारियों के साथ हरा तेला व सफेद कीड़ों का प्रकोप हो तो रोकथाम के लिए 200 मिली. मैलाथयोन-50 ई. पी. या डाइमेथोएट (रोगोर) 30 ई. पी प्रति एकड़ उपरोक्त घोल में मिलाकर पहला छिडक़ाव बिजाई के 40-45 दिन पर तथा अगल स्प्रे 12 से 15 दिन के अंतराल पर करें। इनके लिए उचित दवाईयों के नाम पर उसकी मात्रा और सही घोल बनाएं। जडग़लन रोकथाम के लिए 3 ग्राम कार्बान्डाजिम 50 प्रतिशत (बेविस्टीन) प्रति किलो बीज की दर से सुखा उपचारित करें। जडग़लन रोग का इलाज मात्र 15 रुपये के बीज उपचार से संभव है। प्रशिक्षण शिविर में 60 किसानों ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षण शिविर में किसानों द्वार प्रश्नों का जवाब देने पर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर शिविर में मौजूद किसानों को बीज उपचार के लिए दो एकड़ की वेबिस्टिन दवाई तथा एक जोड़ी दस्ताने हिंदुस्तान गम् एण्ड केमिकल्स भिवानी की तरफ से मुफ्त दिये गये। कृषि प्रशिक्षण शिविर में सरपंच भूपेंद्र सिंह, रामसिंह ने आने किसानों के लिए प्रशिक्षण शिविर में विशेष कार्य किया। सैदपुर के प्रगतिशील किसान सतबीर सिंह ने प्राकृतिक खेती के बारे में किसानों को जानकारी दी। इसके अलावा केशव नंबरदार, राजेश, बुलाराम कैप्टन, ग्यारसीलाल, सरजीत, लालाराम, वीरेंद्र सिंह, कृष्ण कुमार, ओमप्रकाश, सरजीत, बिरेंद्र, ओमप्रकाश, धर्मबीर सिंह समेत अनेक किसान मौजूद रहे।
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