शिशु के जन्म के तुरंत बाद जितनी जल्दी हो सके 1 घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करना अत्यंत महत्वपूर्ण
नारनौल, 1 अगस्त (परमजीत सिंह/गजेन्द्र यादव)।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 1 से 7 अगस्त तक “स्तनपान को प्राथमिकता दें, स्थायी सहायता प्रणालियां बनाएं” थीम पर मनाए जा रहे विश्व स्तनपान सप्ताह का आज शुभारंभ किया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अशोक कुमार ने कहा कि विश्व स्तनपान सप्ताह मनाने का उद्देश्य माताओं को स्तनपान के लिए प्रेरित करना और उनके लिए एक सहायक वातावरण का निर्माण करना है। यह अभियान प्रदेश भर में नवजात शिशुओं और माताओं के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने कहा कि स्तनपान मां और शिशु दोनों के लिए एक प्राकृतिक और अनमोल उपहार है। शिशु के जन्म के तुरंत बाद या जितनी जल्दी हो सके 1 घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मां का पहला दूध जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है, नवजात को बीमारियों से बचाने और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है।
उन्होंने कहा कि पहले 6 माह तक शिशु को केवल मां का दूध ही देना चाहिए। यह एक संपूर्ण आहार है जिसमें शिशु के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व होते हैं। इस दौरान पानी की भी आवश्यकता नहीं होती है।
स्तनपान शिशु को निमोनिया, दस्त और अन्य संक्रमणों से बचाता है। साथ ही यह आजीवन होने वाले गैर-संचारी रोगों के जोखिम को भी कम करता है। माँ का दूध शिशु के मस्तिस्क और मानसिक विकास में सहायक होता है।
उन्होंने बताया कि 6 माह की आयु के बाद शिशु को मां के दूध के साथ-साथ साफ-सुथरा और पौष्टिक पूरक आहार देना शुरू कर देना चाहिए।
उन्होंने माताओं को सलाह दी है कि वे कम से कम 2 वर्ष की आयु तक स्तनपान जारी रखें।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन हरियाणा स्टेप अप फॉर ब्रेस्टफीडिंग की पहल के तहत इस सप्ताह भर कई जागरूकता कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और परामर्श सत्रों का आयोजन करेगा।
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