मुंबई,1अगस्त (ब्यूरो)।
वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की पूर्व विशेष लोक अभियोजक (सरकारी वकील) रोहिणी सालियान, जिन्होंने 2015 में आरोप लगाया था कि सरकार ने एनआईए के माध्यम से उनसे आरोपियों के प्रति ‘नरम’ रुख अपनाने का आग्रह किया था। अब उन्होंने कहा कि यह तो पहले ही पता था कि ऐसा होगा।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने आरोप लगाया, ‘यह तो पहले ही पता था कि ऐसा होगा। अगर आप ठोस सबूत ही पेश नहीं करेंगे तो और क्या उम्मीद की जा सकती है?
मैं वो अभियोजक नहीं थी जिसने आखिरकार अदालत में सबूत पेश किए। मैं किसी के दबाव में नहीं आई। मैं 2017 से ही बाहर थी, और उससे पहले मैंने ढेर सारे सबूत पेश किए थे और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सही ठहराया था। वो सब सबूत कहां गायब हो गए?
उन्होंने कहा, ‘मैं इस फैसले से निराश भी नहीं हूं क्योंकि ये मेरे लिए रोज़मर्रा की बात हो गई है।
सालियान ने आगे आरोप लगाया कि महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) द्वारा एक ठोस जांच के रूप में शुरू की गई जांच धीरे-धीरे बिखर गई, कमजोर सबूतों के कारण नहीं, बल्कि संस्थागत और राजनीतिक अखंडता के कथित पतन के कारण।
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