नई दिल्ली /यूरोप, 5 अगस्त (एजेंसी)/
यूरोप में रहने वाले भारतीय मूल के समाजसेवी एवं चिंतक डॉ. राम नरेश उपाध्याय ने भारतवासियों को एक अत्यंत महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश देते हुए धर्म, जाति, पंथ व अंधविश्वास से ऊपर उठकर ईमानदारी, नैतिकता और सादा जीवनशैली अपनाने की अपील की है।
डॉ. उपाध्याय ने दुनिया के ईमानदारी सूचकांक में शीर्ष 9 देशों :—
न्यूज़ीलैंड, डेनमार्क, फिनलैंड, स्वीडन, सिंगापुर, नॉर्वे, नीदरलैंड, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा — का उदाहरण देते हुए बताया कि ये देश बिना धार्मिक आडंबरों के भी दुनिया के सबसे ईमानदार और खुशहाल देशों में गिने जाते हैं। वहीं भारत ईमानदार देशों की इस सूची में 95वें स्थान पर है।
उन्होंने कहा कि इन देशों में न तो कोई विशेष धार्मिक शोभायात्राएं निकलती हैं, न ही माइक्रोफ़ोन पर धार्मिक उद्घोष होते हैं, न मंदिर-मस्जिद हर मोड़ पर दिखते हैं और न ही कोई भीख मांगता नजर आता है। वहां का नागरिक सुबह उठकर पूरी निष्ठा से अपने कार्यस्थल पर जाता है, ईमानदारी से काम करता है और शाम को अपने परिवार के साथ समय बिताता है।
डॉ. उपाध्याय ने यह भी कहा कि भारतीय समाज में धर्म, कर्मकांड और परंपराओं को लेकर अत्यधिक प्रदर्शन किया जाता है, परंतु उसके बावजूद सामाजिक बुराइयाँ जैसे रिश्वतखोरी, जातिवाद, धार्मिक पाखंड और नैतिक पतन व्यापक रूप से मौजूद हैं।
उन्होंने यह प्रश्न भी उठाया कि जब धार्मिक गुरुओं द्वारा लोगों को लहसुन-प्याज या शराब न पीने की शपथ दिलाई जाती है, तो क्या देश के नेताओं को रिश्वत न लेने, जनता के साथ ईमानदारी से काम करने की शपथ क्यों नहीं दिलाई जाती?
डॉ. उपाध्याय ने देशवासियों से अपील की कि वे धर्म, जात-पांत, पाखंड और अंधविश्वास से ऊपर उठें और सत्य, सेवा, सादगी और ईमानदारी को अपने जीवन का मूल मंत्र बनाएं। उन्होंने कहा कि यही सच्चा धर्म है और यही राष्ट्र की उन्नति का मार्ग है।
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