चुनाव के बाद BJP सरकार ने 10 लाख से ज्यादा बीपीएल कार्ड काटे – दीपेन्द्र हुड्डा

हरियाणा विधान सभा में सरकार के जवाब से “BPL कार्ड फॉर वोट घोटाला” का पूरा सच हुआ उजागर

हरियाणा में जाति पूछकर पुलिस कांस्टेबल के ट्रांसफर करना शर्मनाक, हम ऐसा नहीं होने देंगें

जाति धर्म के आधार पर समाज को तोड़कर प्रदेश को शर्मसार करने की भाजपा की नीयत खुलकर सामने आ गयी

चंडीगढ़, 28 अगस्त (स्टेट हैड परमजीत सिंह/ब्यूरो)।
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने दिल्ली आवास पर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि BJP सरकार ने चुनाव के बाद प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा बीपीएल कार्ड काट दिए। हरियाणा विधान सभा में सरकार के जवाब से “BPL कार्ड फॉर वोट घोटाला” का पूरा सच उजागर होकर जनता के सामने आ गया है। बीजेपी ने 2024 चुनाव से ठीक पहले वोटरों को प्रलोभन देने और उनकी आँखों में धूल झोंकने के लिए चुनावी साल में बीपीएल कार्ड 27 लाख से बढ़ाकर 51 लाख तक पहुंचाए जिससे हरियाणा की 75 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे आ गई। इतनी गरीबी तो आजादी के समय भी नहीं थी। फिर इन परिवारों को 3-4 फ्री राशन बाँटने व 2024 चुनाव में वोटिंग के बाद 10 लाख से अधिक BPL कार्डो को उसी रफ़्तार से काट दिया गया! इसके कारण करीब 25 प्रतिशत वोटर की आबादी प्रभावित हुई है। इसमें बहुत से पात्र परिवारों के बीपीएल कार्ड कट गये और जो पात्र नहीं थे उनके बीपीएल कार्ड बन गये। हरियाणा में जैसे-जैसे बीपीएल कार्ड काटने की कार्रवाई शुरु हुई वो लगातार इस बात को उठाते रहे कि भाजपा का मकसद गरीब परिवारों को लाभ देना नहीं बल्कि लोगों को प्रलोभन देकर उनके वोट लेना था। बीपीएल कार्ड का प्रलोभन देकर मतदाताओं से वोट लेने की साजिश के संबंध में चुनाव आयोग को संज्ञान लेना चाहिए। जिस हरियाणा में केवल 22 हजार वोट या 0.5 प्रतिशत के अंतर से सरकार बनी हो वहां सरकार की अनैतिकता की पोल खुल गयी है। दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि हरियाणा विधान सभा में कांग्रेस विधायक शीशपाल केहरवाल के प्रश्न के उत्तर में खुद मुख्यमंत्री ने ये आँकड़े रखे।

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने हरियाणा पुलिस में सिपाही और हवलदार के ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन पोर्टल के जरिए जाति पूछे जाने पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि इससे ज्यादा नकारात्मक और प्रदेश को शर्मसार करने वाला कदम नहीं हो सकता। दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि किसी भी अधिकारी की कोई जाति या धर्म नहीं होता बल्कि इंसानियत और जनसेवा ही हर अधिकारी कर्मचारी का धर्म होता है। उन्होंने आगे कहा कि संत कबीर ने तो कहा था “जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजे ज्ञान”। मोल करो तलवार का पड़ा रहन दो म्यान”। लेकिन बीजेपी कह रही है जाति पूछो सिपाही की! जाति धर्म के आधार पर समाज को तोड़कर प्रदेश को शर्मसार करने की भाजपा की नीयत खुलकर सामने आ गयी।

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने दिल्ली आवास पर मीडिया को संबोधित करते हुए सवाल किया कि बीजेपी ने जाति, धर्म की राजनीति के गर्त में समाज को पहुंचा दिया है। ऐसा फैसला किसके आदेश पर हुआ। यदि डीजीपी के स्तर पर हुआ है तो उन्हें इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से त्यागपत्र देना चाहिए यदि सत्ता शीर्ष से हुआ है तो मुख्यमंत्री इसका जवाब दें। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि वे संत कबीर, बाबा साहब के संविधान की विचारधारा पर चलने वाले लोग हैं और इस प्रकार के विभाजनकारी फैसले को लागू नहीं होने देंगे।

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