एफडीपी में भारतीय ज्ञान परंपरा की विविधता से अवगत हुए प्रतिभागी

हकेवि में संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम का दूसरा दिन
महेंद्रगढ़ , 3 सितम्बर (परमजीत सिंह/शैलेन्द्र सिंह)।

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ व के.आर. मंगलम विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के संयुक्त तत्वावधान में ‘भारतीय ज्ञान परम्पराः उच्च शिक्षा के स्वरूप का रूपांतरण‘ विषय पर चल रहे दो सप्ताहीय संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम (एफडीपी) का दूसरा दिन ऑनलाइन मोड में आयोजित किया गया। दूसरे दिन उद्घाटन सत्र में हकेवि के कुलपति प्रो. टंकेशवर कुमार ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं और प्रतिभागियों को आगामी सत्रों में सक्रिय भागीदारी कर कार्यक्रम से अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. नंद किशोर ने ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली का अवलोकन‘ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए भारतीय ज्ञान प्रणाली की गहराई और विविधता को रेखांकित किया, जिसमें दर्शन, विज्ञान, साहित्य, कला, संस्कृति तथा सतत जीवन पद्धतियाँ सम्मिलित हैं। उन्होंने बताया कि भारत की यह समृद्ध बौद्धिक परंपरा हजारों वर्षों से पोषित होती रही है और आज भी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रासंगिक है। उन्होंने आधुनिक पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान प्रणाली को एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे समग्र शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा तथा विद्यार्थियों और शिक्षकों में गौरव एवं आत्मपहचान की भावना जागृत होगी। उनका व्याख्यान प्रतिभागियों को शिक्षण पद्धतियों पर पुनर्विचार करने और समकालीन शैक्षणिक प्रथाओं में अधिकाधिक स्वदेशी ज्ञान ढांचे को शामिल करने के लिए प्रेरित करता है।
आयोजन में संकाय सदस्यों ने प्रश्नों और चर्चाओं के माध्यम से सक्रिय भागीदारी की। एफडीपी के संयोजक एवं समन्वयक हकेवि के विधि विभाग विभागाध्यक्ष एवं डीन डॉ. प्रदीप सिंह और के.आर. मंगलम विश्वविद्यालय की डॉ. शोभना जीत ने प्रो. नंद किशोर का आभार व्यक्त किया। साथ ही हकेवि के कुलपति प्रो. टंकेशवर कुमार और के.आर. मंगलम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रघुबीर सिंह के मार्गदर्शन और सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। दिन का समापन औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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