महेंद्रगढ़, 5सितम्बर (परमजीत सिंह/शैलेन्द्र सिंह)।
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ एवं के.आर. मंगलम विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के संयुक्त तत्वावधान में “भारतीय ज्ञान प्रणालीः उच्च शिक्षा के परिदृश्य का रूपांतरण” विषय पर आयोजित दो-सप्ताहीय संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम (एफडीपी) के तीसरे दिन दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि पीठ की प्रोफेसर सीमा सिंह ने ‘कर्तव्यम् न्यायशास्त्र‘ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कर्तव्यम् न्यायशास्त्र की संकल्पना, दार्शनिकता एवं विधिक परिप्रेक्ष्य को स्पष्ट किया। डॉ. सिंह ने बताया कि भारतीय चिंतन में कर्त्तव्य जीवन का मूल आधार है, जो समाज में संतुलन और उत्तरदायित्व की भावना को स्थापित करता है। उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक एवं विधिक धरोहर से उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सत्र को और अधिक जीवंत, सारगर्भित एवं प्रेरणादायी बनाया।
डॉ. सिंह ने कहा कि यदि उच्च शिक्षा में कर्तव्यम् न्यायशास्त्र को समाहित किया जाए तो यह उत्तरदायी नागरिकता के निर्माण, शिक्षा पद्धति को दायित्व-केंद्रित बनाने और भारतीय ज्ञान प्रणाली के समग्र उद्देश्यों को सशक्त करने में सहायक सिद्ध होगा।
इसी क्रम में आयोजन के चौथे दिन हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग की प्रोफेसर पायल चंदेल ने समग्र विकास की भारतीय अवधारणा विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि भारतीय अवधारणा जीवन के शारीरिक, बौद्धिक, भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक पक्षों के संतुलित समन्वय के माध्यम से समग्र विकास पर बल देती है।
प्रो. चंदेल ने स्पष्ट किया कि यह अवधारणा न केवल व्यक्तिगत विकास को समृद्ध बनाती है, बल्कि सामुदायिक जीवन को भी मजबूत करती है और सतत् एवं समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में इस भारतीय दृष्टिकोण को अपनाने से शिक्षा और शोध की दिशा उत्तरदायी, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध तथा वैश्विक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्तित्वों के निर्माण की ओर उन्मुख की जा सकती है।
कार्यक्रम के संयोजक हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के विधि विभागाध्यक्ष एवं अधिष्ठाता डॉ. प्रदीप सिंह तथा के.आर. मंगलम विश्वविद्यालय की डॉ. शोभना जीत और कार्यक्रम समन्वयक डॉ. आरती शर्मा ने विशेषज्ञों का आभार व्यक्त किया।
#newsharyana
