महेंद्रगढ़ , 12सितम्बर (परमजीत सिंह/शैलेन्द्र सिंह)।
शहर की गलियों में आवारा कुत्तों का आतंक दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि लोग गलियों में निकलने से भी डरने लगे हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह समस्या और भी खतरनाक साबित हो रही है। आए दिन कुत्तों के झुंड गलियों में घूमते और बैठे देखे जाते हैं और कई बार राहगीरों पर अचानक हमला भी कर देते हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि नपा प्रशासन की लापरवाही के कारण यह समस्या विकराल रूप ले चुकी है। कई बार शिकायत करने के बावजूद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यदि नपा प्रशासन ने समय रहते आवारा कुत्तों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया, तो किसी बड़े हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता।
आपको बता दें कि
भारत में कुत्तों से संबंधित कानून मुख्य रूप से पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के तहत आते हैं, जो कुत्तों के साथ क्रूरता की रोकथाम, आवारा कुत्तों के प्रबंधन, और मालिकों के उत्तरदायित्वों से संबंधित हैं। मालिकों को भोजन, पानी और आश्रय प्रदान करना आवश्यक है, और उन्हें कुत्तो को नियंत्रित करने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा, कुछ विदेशी नस्लों को पालतू पशुओं के रूप में प्रतिबंधित किया गया है और आवारा कुत्तों को अंधाधुंध मारने पर रोक है।
वही सुप्रीम कोर्ट ने रेबीज के बढ़ते मामलों के कारण आवारा कुत्तों को हटाने और आश्रय में रखने का आदेश भी दिया है।
शहर वासियों ने भी जनहित में
आम जनता को भी सतर्क रहने और बच्चों को अकेले गलियों में न जाने देने की सलाह भी दी गई है ताकि कोई बड़ी अनहोनी ना सके
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