नारनौल,13 जून(परमजीत सिंह/गजेन्द्र यादव)।
कोरोना के दौरान अनाथ हुए बच्चों के डीसी होते हैं अभिभावक
23 साल आयु होते ही ले सकेंगे 10 लाख की एफडी की राशि
उपायुक्त डॉ विवेक भारती ने आज अपने कार्यालय में पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत कवर किए गए दो लाभार्थी बच्चों से मुलाकात की तथा उनका हाल-चाल जाना। इस योजना के तहत उपायुक्त इन बच्चों के नामित अभिभावक होते हैं।
डीसी ने कहा कि इन बच्चों के समग्र कल्याण के बारे में समय-समय पर जानकारी ली जाती है।
उन्होंने बताया कि यह भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है, जिसका उद्देश्य उन बच्चों को व्यापक सहायता प्रदान करना है जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण अपने माता-पिता, कानूनी अभिभावक या दत्तक माता-पिता (दोनों या जीवित बचे हुए) को खो दिया है।
उन्होंने बताया कि यह योजना बच्चों की निरंतर देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करने, स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से उनकी भलाई सुनिश्चित करने, शिक्षा के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाने और 23 वर्ष की आयु तक वित्तीय सहायता के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए डिजाइन की गई है।
उपायुक्त ने बताया कि प्रत्येक पात्र बच्चे के लिए पोस्ट ऑफिस खाते में एक निश्चित राशि जमा की जाती है, ताकि 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर उनके लिए कुल 10 लाख रुपए का कोष बन जाए। 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर, बच्चों को अगले पांच वर्षों के लिए मासिक वजीफा (स्टाइपेंड) मिलेगा, जो उनके व्यक्तिगत और उच्च शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा।
23 वर्ष की आयु पूरी होने पर, बच्चों को 10 लाख रुपए की पूरी राशि एकमुश्त मिलेगी, जिसका उपयोग वे अपनी व्यक्तिगत और व्यावसायिक आवश्यकताओं के लिए कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इससे पहले भी इन बच्चों को 50-50 हजार रुपए की एक मुश्त राशि सरकार की तरफ से दी जा चुकी है।
वहीं समाज कल्याण विभाग की ओर से 12वीं कक्षा तक प्रतिवर्ष 20 हजार रुपए की एक मुस्त राशि भी दी गई थी।
इस मौके पर अतिरिक्त उपायुक्त सुशील शर्मा, एसडीएम कनीना डॉ जितेंद्र सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी संगीता यादव तथा डीसीपीओ संदीप सिंह, डीसीपीओ कार्यालय से सुषमा यादव, प्रेमलता के अलावा अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
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