Monday, June 16, 2025
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला अब कब्जा,एग्रीमेंट व पावर ऑफ एटॉर्नी नहीं, रजिस्ट्री ही तय करेगी मालिकाना हक़

नई दिल्ली,15जून(ब्यूरो)।
अगर आप कोई जमीन या मकान खरीदने की सोच रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए बहुत जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया है जिससे प्रॉपर्टी से जुड़ी सभी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी। अब सिर्फ किसी जमीन या मकान पर कब्जा कर लेने से आप उसके मालिक नहीं बन जाएंगे। असली मालिक वही माना जाएगा जिसकी रजिस्ट्री वैध तरीके से हुई हो।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
देश की सबसे बड़ी अदालत ने साफ-साफ कह दिया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी प्रॉपर्टी को खरीदता है और सिर्फ कब्जा लेकर बैठ जाता है, लेकिन उसकी रजिस्ट्री नहीं करवाता – तो वह उस संपत्ति का मालिक नहीं माना जाएगा। जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने यह भी कहा कि जब तक संपत्ति की बिक्री कानूनी तरीके से रजिस्टर्ड सेल डीड के जरिए नहीं होती, तब तक उसका ट्रांसफर वैध नहीं माना जाएगा।

कानून क्या कहता है
1882 के ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के सेक्शन 54 के मुताबिक, अगर किसी अचल संपत्ति की कीमत 100 रुपये या उससे ज्यादा है, तो उसका मालिकाना हक तभी ट्रांसफर होगा जब वह बिक्री रजिस्ट्री के जरिए किया गया हो। यानी चाहे आपने पूरे पैसे दे दिए हों और कब्जा भी ले लिया हो, तब भी कानूनी रूप से आप मालिक तब तक नहीं माने जाएंगे जब तक आपने रजिस्ट्री नहीं करवाई।

बिचौलियों को झटका
इस फैसले का असर प्रॉपर्टी डीलरों और बिचौलियों पर भी पड़ेगा। अब पावर ऑफ अटॉर्नी या वसीयत के जरिए प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने का चलन पूरी तरह खत्म हो जाएगा। जो लोग अब तक सिर्फ कागजों के दम पर जमीनों का सौदा कर लेते थे, उनके लिए यह झटका साबित होगा। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि मालिकाना हक सिर्फ रजिस्ट्री से ही मिलेगा, न कि किसी अनौपचारिक कागज से।

नीलामी वाले केस से आया फैसला
इस फैसले की शुरुआत एक ऐसे मामले से हुई जिसमें एक व्यक्ति ने संपत्ति को नीलामी में खरीदा था। लेकिन उसके पास रजिस्टर्ड सेल डीड नहीं थी। मामला कोर्ट में गया और सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि जिस व्यक्ति के पास कानूनी तौर पर रजिस्ट्री हुई बिक्री विलेख है, वही असली मालिक माना जाएगा।

लोगों के लिए क्या सबक है
इस फैसले से आम लोगों को एक बहुत जरूरी सीख मिली है – अगर आप प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, तो रजिस्ट्री जरूर करवाएं। सिर्फ पैसे देकर और कब्जा लेकर बैठ जाना अब बेवकूफी होगी। हो सकता है कल को कोई और रजिस्ट्री करवा ले और वो असली मालिक बन जाए।

अब अगर आप किसी जमीन पर रह रहे हैं, लेकिन आपके पास रजिस्ट्री नहीं है, तो सतर्क हो जाइए। जल्दी से अपनी प्रॉपर्टी को कानूनी दस्तावेजों के जरिए अपने नाम करवा लीजिए। वरना भविष्य में परेशानी झेलनी पड़ सकती है।

सरकार भी हर संपत्ति पर नहीं कर सकती कब्जा
इससे पहले नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने एक और बड़ा फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार हर किसी की निजी संपत्ति को जबरदस्ती अधिग्रहित नहीं कर सकती। सरकार सिर्फ कुछ खास मामलों में, विशेष परिस्थितियों में ही किसी की प्रॉपर्टी को अधिग्रहित कर सकती है।

इस फैसले के साथ कोर्ट ने 1978 के उस पुराने फैसले को रद्द कर दिया था जिसमें सरकार को जरूरत से ज्यादा अधिकार दे दिए गए थे। अब यह साफ हो गया है कि नागरिकों का संपत्ति पर अधिकार पूरी तरह सुरक्षित है।

क्यों जरूरी है ये फैसला
भारत में आज भी कई लोग ऐसे हैं जो सिर्फ कब्जा लेकर किसी जमीन या मकान को अपना मान बैठते हैं। कई बार तो परिवारों में झगड़े हो जाते हैं, रिश्तेदार बिना रजिस्ट्री के घर में रहने लगते हैं और फिर सालों तक केस चलते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब ऐसी स्थिति में तुरंत सच्चाई सामने आ सकेगी कि असली मालिक कौन है।

भविष्य में क्या होगा असर

इस फैसले का असर सिर्फ कोर्ट-कचहरी तक सीमित नहीं रहेगा। अब बैंक से लोन लेने में भी आसानी होगी, क्योंकि रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी ही लोन के लिए मान्य होगी। इसके साथ ही जमीन की धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े और कब्जे की राजनीति में भी भारी गिरावट आएगी।
अगर आप चाहते हैं कि आपकी खरीदी हुई संपत्ति पूरी तरह सुरक्षित हो और किसी तरह की कानूनी दिक्कत न हो, तो रजिस्ट्री कराना सबसे जरूरी कदम है। सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ कर दिया है कि अब कानून से कोई खिलवाड़ नहीं कर सकेगा। प्रॉपर्टी का हक सिर्फ उस इंसान को मिलेगा जिसने उसे रजिस्टर्ड तरीके से खरीदा है। इसलिए अब कोई भी फैसला लेने से पहले सोच-समझकर कदम उठाएं और रजिस्ट्री जरूर कराएं।
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