शहर में बनाई गई सड़कों की गुणवत्ता में ही खोट,सड़कों से निकल रही है भ्रष्टाचार की रोड़ियां,बनाई गई सड़कों की गुणवत्ता की जांच कराएंगे : लक्ष्मण यादव विधायक

रेवाड़ी, 13जुलाई (राजू यादव)।
जिले में मानसून का गुजरता हर दिन सड़कों की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों की पोल खोल रहा है। शहर, कस्बा तथा गांवों में जल भराव, सड़कों के लगातार टूटने व रेवाड़ी शहर की सड़कों पर बने गड्ढे अपने आप में इसकी कलई खोल रहे हैं। रेवाड़ी शहर में हो रहे जल भराव व सड़कों पर बने गहरे गहरे गड्ढे  ने पिछले कई वर्षों से खूब सुर्खियां बटोरी है। सुरक्षा मानको का ही परिणाम है कि शहर के जिला अस्पताल से लेकर बस अड्डा तक पानी में डूब जाते हैं। अस्पताल में भर्ती छोटे बच्चों को जल भराव होने के कारण रात को ही दूसरे अस्पतालों में भर्ती कराया जाता है।

ऐसे हालात केवल इस वर्ष ही नहीं बने हैं साल- दर – साल से ऐसे ही हालात बने हुए हैं। हर बार करोड़ों का बजट मानसून से पहले नालों की सफाई, सड़कों की मरम्मत, बिजली के मेंटेनेंस के लिए जारी होता है। यही नहीं विभागीय बैठकों का भी लंबा दौर चलता है, लेकिन हर वर्ष की भांति हालातो में कोई तब्दीली नहीं होती। थोड़ी सी बरसात में ही पूरा शहर पानी पानी हो जाता है, स्कूल, अस्पताल, बस अड्डा, रेलवे स्टेशन व जिला सचिवालय तक तालाब नजर आने लगते हैं। सरकारी सिस्टम में व्याप्त लापरवाही, नियमों की अनदेखी  और भ्रष्टाचार को रेवाड़ी के उदाहरण से समझा जा सकता है। नगर परिषद नें करोड़ों रुपए खर्च कर शहर की कुछ सड़कों का निर्माण कराया था लेकिन कुछ दिन बाद ही इन सड़कों से भ्रष्टाचार की रोड़ीया निकलनी शुरू हो गई।

भारी वाहनों को तो छोड़िए आवाजाही की सड़के चंद सप्ताह नहीं चल पाती, अधिकारियों तथा ठेकेदारों को इस बात का इल्म होता है कि सड़क किस उद्देश्य के लिए बनाई जा रही है। अगर शहर में बनाई गई सड़कों की गुणवत्ता की जांच कराए तो शीशे की तरह सब कुछ साफ हो जाएगा कि किस – किस नें बहती गंगा में हाथ धोए हैं। प्रतिस्पर्धा के फेर में ठेकेदार कम दाम पर टेंडर को हासिल कर लेते हैं। उसके बाद करीब 25 से 30 तक प्रतिशत कमिशन और देना होता है। अब आप अंदाजा लगाएं की पहले तो ठेकेदार ने प्रतिस्पर्धा होने के कारण टेंडर कम लागत में ले लिया हो और उसके बाद करीब 30 प्रतिशत कमीशन ऊपर से देना पड़े तो सड़क की गुणवत्ता कैसी होगी, यही कारण है कि ठेकेदार व अधिकारी गुणवत्ता  से खिलवाड़ करते हैं। ठेकेदार लागत कम करने के लिए कम मोटाई की सड़क या घटिया और सस्ती सामग्री का उपयोग निर्माण कार्य में करते हैं। कहीं सड़कों पर असामान्य ढलान आ जाती है तो कहीं सड़क व गली सकरी हो जाती है।  ‘सेटिंग ‘से निर्धारित मानकों पर खरा न उतरने वाली सड़के भी अपने आप पास हो जाती है और ठेकेदारों के बिल भी पास हो जाते हैं। अगर कहीं कोई शिकायत होती है तो अधिकारी एक ही रटा- रटाया जवाब देते हैं कि अभी ठेकेदार की पेमेंट नहीं हुई है लेकिन देर सवेर बिल की अदायकी हो ही जाती है।

सरकार को जिम्मेदारों की जवाबदेही सुनिश्चित जरूर करनी चाहिए। निर्माण के समय उच्च गुणवत्ता की सामग्री और आधुनिक तकनीक का उपयोग अनिवार्य करना चाहिए। इन सबके बावजूद अगर सड़क टूटती है या उसमें गड्ढा होता है तो न सिर्फ ठेकेदारों बल्कि उस कार्य विशेष को स्वीकृत करने वाले अधिकारी के विरुद्ध भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अब पानी नाक तक आ चुका है, इस नाकामी को और कितने सबूत चाहिए। शहर के आम व खास लोगों का हक है कि उन्हें अच्छी सड़के व अच्छी व्यवस्था मिले। आखिर यह सब जनता की गाढी कमाई के टैक्स से ही संभव होता है। सरकार और सिस्टम में बैठे लोगों को तत्काल इस दिशा में कार्य करना चाहिए। जनता का धैर्य टूटने से पहले बेहतर है कि सरकार सिस्टम को सुधार दे।

क्या कहते हैं विधायक

शहर में बनाई गई सड़कों की गुणवत्ता में बढ़ती गई अनियमिता पर  विधायक लक्ष्मण यादव नें कहा कि दोषी अधिकारियों की जांच जरूर कराएंगे इसके साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें विभागीय सजा भी मिले। मैं खुद इस मामले के पीछे लगा हुआ हूं, कई बार सड़कों की सैंपलिंग भी करवा चुका हूं। मेरे को तो यह सब चीज विरासत में मिली हुई है, मैं चाहता हूं भ्रष्टाचार मुक्त कार्य हो। अधिकारियों को भी हिदायत देते हुए कहा अधिकारी ईमानदारी से करें कार्य, मैं भी कई बार इस विषय को लेकर आवाज उठा चुका हूं। शहर की दुर्दशा को ठीक करने में पूरी तरह से लगा हुआ हूं।
#newsharyana

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top