गोरखपुर, 23जुलाई (ब्यूरो)।
गोरखपुर,यूपी के बिछिया स्थित पीएसी ट्रेनिंग कैंपस में महिला सिपाहियों की ट्रेनिंग 21 जुलाई, सोमवार से शुरू हुई। लेकिन महज़ दो दिन में ही ट्रेनिंग सेंटर की सुरक्षा, सुविधाओं और अमानवीय व्यवहार के खिलाफ़ 600 से ज़्यादा महिला सिपाहियों ने रोते, चिल्लाते सड़क पर उतरने का साहसिक कदम उठाया।
उन्होंने खुले तौर पर आरोप लगाए कि ट्रेनिंग सेंटर में उनकी निजता, गरिमा और स्वास्थ्य से जुड़ी मूलभूत ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ किया गया। बाथरूम और गैलरी जैसे संवेदनशील स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
अविवाहित महिला सिपाहियों को जबरन प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए बाध्य किया गया। बिजली, पीने के पानी और रहने की मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है।
360 क्षमता वाले परिसर में 600 से अधिक महिलाओं को ठूंस-ठूंसकर रखा गया।
गोरखपुर में प्रशिक्षु महिला सिपाहियों ने रो- रो कर जो आरोप लगाए हैं वे बहुत ही गंभीर हैं।
. अविवाहित लड़कियों का जबर्दस्ती प्रेगनेंसी टेस्ट करवा रहे हैं।
• एक RO से 600 लड़कियां पानी पी रही हैं।
• पंखे ढंग से चल नहीं रहे, सिर्फ 2 कूलर है।
• अधिकारी मां-बहन की गाली दे रही हैं।
• एक अधिकारी कह रहे- सारी लड़कियों के गां* में डंडा करेंगे।
सैकड़ों महिला पुलिस रिक्रूट्स ने सुबह से मोर्चा संभाल रखा है। ट्रेनिंग सेंटर की हालत बदतर न बिजली है, न पानी! लड़कियां मजबूर होकर खुले में नहा रही हैं
UP पुलिस की रक्षक बनने आई बेटियां अब सिस्टम से लड़ रही हैं। शिवरात्रि के पावन पर्व पर ये कैसा प्रशिक्षण, ये कैसी व्यवस्था?


यह घटना गोरखपुर में हुई है जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का जिला व क्षेत्र है। ऐसे में यह सिर्फ एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री की सीधी नैतिक और राजनीतिक जवाबदेही का प्रश्न है।
गोरखपुर पीएसी ट्रेनिंग सेंटर में जो कुछ भी हुआ वह महिला सिपाहियों की गरिमा पर एक संगठित हमला है। यह घटना उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था, पुलिस व्यवस्था, और सरकार के महिला सशक्तिकरण के दावों पर सीधा सवाल खड़ा करती है।
हम यह मानते हैं कि अगर वर्दी पहनने वाली महिलाएं भी राज्य में सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर आम नागरिकों की सुरक्षा का दावा खोखला है। हो सकता है इन रोती बिलखती बेटियों पर यह समाचार प्रकाशित होने के बाद सरकार द्वारा कार्यवाही कर दी जाए।
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