Sunday, July 27, 2025
Homeहरियाणाआईजीयू में "वर्तमान समय में योग का महत्व" विषय पर एक दिवसीय...

आईजीयू में “वर्तमान समय में योग का महत्व” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार संपन्न

रेवाड़ी 26 जुलाई (परमजीत सिंह/राजू यादव)।

इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, मीरपुर, रेवाड़ी के योग विभाग द्वारा “आज वर्तमान समय में योग का महत्व” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया जिसे भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, भारत सरकार के द्वारा प्रायोजित किया गया।
इस अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज, हरिद्वार से प्रोफेसर सुरेश लाल बरनवाल मुख्य अतिथि रहे जबकि अमेठी विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश से डॉ. संजय सिंह मुख्य वक्ता तथा आयुष मंत्रालय नई दिल्ली से डॉ. रामनारायण मिश्रा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर असीम मिगलानी ने की तथा कुलसचिव प्रोफेसर दिलबाग सिंह भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का आरंभ वैदिक मंत्रोचार एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। सर्वप्रथम विभाग अध्यक्ष डॉ. श्रुति ने सभी मेहमानों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। इसके पश्चात इस कार्यक्रम के सचिव डॉ. जयपाल सिंह ने आयोजन की भूमिका प्रस्तुत की। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर दिलबाग सिंह ने भी सभी का स्वागत किया और बताया कि योग का अर्थ जोड़ना होता है और यह हमें प्रकृति से जोड़ता है। आज हम आधुनिकता की अंधी दौड़ में जितना प्रकृति से दूर जा रहे हैं उतनी ही अशांति हमारे मन में पैदा होती है और ऐसे में सबसे बड़ी आशा योग से ही रखी जा सकती है। उन्होंने विश्वविद्यालय समुदाय से आह्वान किया कि हम सबको योग अपने जीवन का दैनिक और अभिन्न अंग बनाना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर असीम मिगलानी ने बताया कि योग भारतीय संस्कृति की धरोहर है और इसके महत्व को समझते हुए ही आज पूरा विश्व 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाता है। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन के लिए विभाग को बधाई दी और कहा कि योग केवल ज्ञान और आसन न होकर कार्य को कुशलता से एवं एकाग्रचित होकर अनुशासन के साथ करना भी है क्योंकि योग मुख्य रूप से संतुलन सीखाता है जिसकी आज विश्व शांति के लिए सबसे अधिक आवश्यकता है। आज योग जीवन में वैज्ञानिकता, अनुशासन और दक्षता लाने वाला सार्वभौमिक साधन बन चुका है।”
मुख्य वक्ता डॉ. संजय सिंह ने बताया कि आज हम भौतिक विकास की तरफ अधिक ध्यान देने के कारण अपने आध्यात्मिक विकास पर ध्यान नहीं दे पा रहे जिसकी कीमत हमें अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा के रूप में चुकानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि बदलाव शाश्वत है और बदलाव को सहज भाव से स्वीकार करना सुखी जीवन के लिए सबसे अधिक आवश्यक है। उन्होंने अष्टांग योग की वर्तमान प्रासंगिकता को प्रभावशाली उदाहरणों के साथ रेखांकित करते हुए बताया कि आधुनिक जीवनशैली से उपज रही व्याधियों से मुक्ति हेतु अष्टांग योग रामबाण साबित हो सकता है।
मुख्य अतिथि प्रो. सुरेश लाल बरनवाल ने अपने वक्तव्य में कहा कि योग आत्मिक, मानसिक और शारीरिक शुद्धता का समग्र विज्ञान है। उन्होंने स्व-स्वरूप में स्थित होने, नकारात्मक भावनाओं को छोड़ने तथा योग के गूढ़ मन्त्रों के वैज्ञानिक अर्थों को समझने की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. रामनारायण मिश्रा ने ‘साइंस बिहाइंड ऑफ योग’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय शोधों के आधार पर बताया कि योग की वैज्ञानिक व्याख्या न केवल इसके प्राचीन स्वरूप, बल्कि इसकी वर्तमान वैश्विक महत्ता को भी दर्शाती है। उन्होंने युवाओं को योग को शोध और नवाचार के स्तर पर अपनाने के लिए प्रेरित किया।
मंच संचालन डॉ. अमनदीप की सशक्त प्रस्तुति द्वारा हुआ। कार्यक्रम के समापन पर अतिथियों को अंग-वस्त्र व स्मृति-चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस संगोष्ठी में विश्वविद्यालय सहित अन्य महाविद्यालयों व संस्थानों से आए विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य योग की सार्वकालिक प्रासंगिकता को उजागर कर युवाओं में मानवीय मूल्यों का संवर्द्धन, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता तथा समाज में एकजुटता और सकारात्मकता का संचार करना रहा।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम ‘योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ के आलोक में यह आयोजन समाज में योग के वैज्ञानिक-सामाजिक संदेश को घर-घर तक पहुँचाने हेतु सफल रहा। संगोष्ठी ने यह स्पष्ट कर दिया कि वर्तमान युग में योग ही वह व्यावहारिक साधन है, जो शारीरिक, मानसिक और सामाजिक समस्याओं को दूर कर मानवता को समग्र उन्नति के मार्ग पर अग्रसर कर सकता है।

#newsharyana

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments