किसान बाजरे की फसल में बेहतर कीट प्रबंधन करें

नारनौल, 1 अगस्त (परमजीत सिंह/गजेन्द्र यादव)।
बाजरे की फसल में कई तरह के कीट और रोग लग सकते हैं, जो पैदावार को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए कृषि उप निदेशक डॉ देवेन्द्र सिंह ने किसानों को समय रहते कीट प्रबंधन करने की सलाह दी है।
कृषि उप निदेशक डॉ देवेन्द्र सिंह ने बताया जिला में बाजरा खरीफ सीजन की मुख्य फसल है। जिला में यह लगभग 1 लाख 20 हजार हेक्टेयर में बोई जाती है। बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2750 रुपए प्रति क्विंटल है। सरकार द्वारा शत प्रतिशत खरीद की वजह से यह किसानों की मुख्य फसल बनी हुई है‌। बाजरा फसल में पहले कीट और बीमारियों का प्रकोप भी न के बराबर होता था लेकिन पिछले दो-तीन साल से इस फसल में कुछ कीट तथा बीमारियां देखने में आ रही है। इसलिए यह आवश्यक है कि वे अपनी फसल को कीटों के प्रकोप से बचाने के लिए प्रभावी उपाय अपनाएं। बाजरे की फसल में कई तरह के कीट और रोग लग सकते हैं, जो पैदावार को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

बाजरे की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट और उनके प्रबंधन के तरीके

सफेद लट (व्हाइट ग्रब): यह बाजरे की फसल का एक प्रमुख कीट है। ये पौधे की जड़ों को काट देती हैं, जिससे पौधा मुरझाकर खत्म हो जाता है। इसके प्रकोप से खेत में कई जगहों पर खाली घेरे बन जाते हैं।
इसके प्रौढ़ भूरे व हल्के भूरे रंग के होते हैं जो मानसून की पहली वर्षा के बाद भूमि से शाम को अंधेरे होने पर निकलते हैं और आसपास के वृक्षों पर इकट्ठे होकर पत्तों को खाते हैं तथा सुबह होने से पहले वापस जमीन में चले जाते हैं। इसकी लट अंग्रेजी के अक्षर सी के आकार की होती है । यह सफेद रंग की लट जिसका मुंह भूरे रंग का होता है‌। बाजरे की जड़ों को काटकर अगस्त से अक्टूबर तक नुकसान करती है। ग्रसित पौधे पीले होकर सूख जाते हैं कभी-कभी इस कीड़े का प्रकोप बाजरे की अगेती फसल यदि मानसून पूर्व की वर्षा हुई हो में भी आ जाता है। इसके नियंत्रण के लिए वृक्षों पर इकट्ठे हुए प्रौढ़ भूण्डों को वर्षा के बाद पहली व दूसरी रात्रि को वृक्ष हिलाकर नीचे गिराकर एकत्रित करें व उन्हें मिट्टी के तेल के घोल में डालकर नष्ट कर दें। यदि यह कार्य अभियान चलाकर किया जाए तो सर्वोत्तम है। प्रौढ़ भूंडों को मारने के लिए पहली व दूसरी और तीसरी वर्षा होने के बाद उसी दिन या एक दिन बाद खेतों में खड़े वृक्षों पर 0.05 प्रतिशत किवीनलफॉस 25 ई.सी. का छिड़काव करें।
बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें।
इसके अतिरिक्त एक अन्य कीट फॉल आर्मीवर्म भी बाजरे की फसल में देखने को मिल रहा है। फाल आर्मीवर्म के आक्रमण की पहचान पत्तों पर लंबे या गोल से आयताकार कटे-फटे छिद्रों द्वारा होती है तथा इसकी छोटी बड़ी मटमैले रंग की सूंड़ियां पौधों की गौभ को खाती हुई मिलती है । इसके नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ पांच फेरोमोन ट्रैप लगाएं ‌। आक्रमण देखते ही गौभ में सुखी रेत व चूने का 9:1 मिश्रण डालें। ‌ इस किट के लिए 200 लीटर पानी में मिलाकर 5 प्रतिशत प्रकोप तक 1 लीटर एजाडाइरेक्टिन 1500 पीपीएम प्रति एकड़ की दर से छिड़के। इसकी पहचान पत्तों पर लम्बे या गोल कटे-फटे छिद्रों से होती है। इसकी सूंडियां पौधे की गोभ को खाती हैं।

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