नारनौल,11 अगस्त (परमजीत सिंह/शैलेन्द्र सिंह)।
कोई भी दंपति या एकल अभिभावक किसी भी वजह से शिशु नहीं अपनाना चाहते या शिशु को पालने में असमर्थ हैं या व्यक्ति या संस्था को परित्यक्त, लावारिस अवस्था में शिशु मिलता है तो उसे इधर-उधर न छोड़ें। नागरिक बिना पहचान बताए सुरक्षित रूप से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में स्थापित शिशु पालना केंद्र में छोड़ सकते हैं।
उपायुक्त डॉ विवेक भारती ने बताया कि इस प्रकार के बच्चों के लिए सिविल अस्पताल महेंद्रगढ़, सिविल अस्पताल नारनौल व सीएचसी नांगल चौधरी, कनीना, अटेली एवं बाल भवन में पालन केंद्र बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि इन स्थान से बच्चों को सुरक्षित रूप से प्राप्त करके उसे अन्य भावी दत्तक माता-पिता को कानूनी रूप से गोद दिया जा सके।
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मिशन वात्सल्य से शिशु को सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान किया जाता है
जिला कार्यक्रम अधिकारी संगीता यादव ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के मिशन वात्सल्य के तहत जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा चलाई गई शिशुपालना केंद्र वह पहल है जिसका मुख्य उद्देश्य शिशु की जीवन रक्षा के साथ-साथ उसको एक कानूनी रूप से नए परिवार दिलाना और सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करना है।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि असहाय एवं बेसहारा बच्चों को स्थाई रूप से गोद लेने के लिए बाल कल्याण समिति द्वारा कानूनी रूप से बच्चे को दत्तक ग्रहण के लिए मुक्त किया जाता है एवं केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट केयरिंग पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण किया जाता है।
बाल संरक्षण अधिकारी सुषमा यादव ने बताया कि शिशु पालन केंद्र एवं बेसहारा बच्चों की सुरक्षा के कानून एवं विनियम के बारे में समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं। इसके साथ ही सभी नर्सिंग होम, सरकारी डॉक्टर, एएनएम इत्यादि के प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम करवाया जाता रहता है ताकि बेसहारा एवं असहाय बच्चों के रक्षा एवं सुरक्षा के साथ-साथ कानूनी रूप से दत्तक ग्रहण किया जा सके एवं गैर कानुनी व बिचौलिया प्रथा से बचा जा सके।
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