विकसित राष्ट्र के निर्माण हेतु व्यावसायिकता का अनुसरण आवश्यक- आलोक चक्रवाल

सफलता के लिए जोखिम लेने की क्षमता आवश्यक- राज नेहरु

हकेवि में विकसित भारत 2047 पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ शुभारंभ
महेंद्रगढ़, 10सितम्बर (परमजीत सिंह/शैलेन्द्र सिंह)।

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में बुधवार से वैश्विक सहयोगः सतत विकास हेतु बैंकिंग, वित्त और व्यवसाय प्रबंधन में नवाचार विषय पर केंद्रित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। इस आयोजन का उद्देश्य विकसित भारत 2047 की परिकल्पना को साकार करने के लिए बैंकिंग, वित्त और व्यवसाय प्रबंधन के क्षेत्र में नवाचार और वैश्विक सहयोग की संभावनाओं पर विमर्श करना है। भारतीय लेखा परिषद्, विद्या भारती उच्च शिक्षण संस्थान के सहयोग के आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के पूर्व कुलपति तथा हरियाणा के मुख्यमंत्री के विशेष कर्त्तव्य अधिकारी (ओएसडी) प्रो. राज नेहरु उपस्थित रहे जबकि सम्मेलन की अध्यक्षता हकेवि के कुलपति प्रो. टंकेशवर कुमार की। इस अवसर पर हकेवि के समकुलपति प्रो. पवन कुमार शर्मा भी संरक्षक के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन व विश्वविद्यालय कुलगीत के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन के समन्वयक प्रो. राजेंद्र प्रसाद मीना ने अतिथियों का स्वागत व परिचय प्रस्तुत करते हुए उनकी उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम की सचिव प्रो. सुमन ने इस आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और विभिन्न सत्रों में होने वाली चर्चाओं की जानकारी प्रतिभागियों को दी। कार्यक्रम में विश्ष्टि अतिथि व मुख्य वक्ता प्रो. राज नेहरु ने भारतीय ज्ञान परम्परा का उल्लेख करते हुए युवाओं को सफलता के लिए जोखिम लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत अपनी पुरानी शिक्षा पद्धति को अपनाते हुए ऐसी शैक्षणिक व्यवस्था लागू करें जिसमें समस्याओं और उनके समाधान का मार्ग प्रशस्त हो। उन्होंने भारत की महान सभ्यता, संस्कार व व्यक्ति निर्माण की पुरातन व्यवस्था का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण हेतु हमें पुनः उसी मार्ग की ओर बढ़ना होगा। उन्होंने कौशल विकास आधारित शिक्षा, रोजगार सृजन व उद्यमशीलता के विकास हेतु युवाओं को प्रेरित किया।
आयोजन के मुख्य अतिथि प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने विस्तार से रोजगार सृजन और व्यवसाय के विकास की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से युवाओं को स्टार्टअप शुरु करने की प्रेरणा दी और कहा कि विकसित भारत के निर्माण हेतु जरुरी है कि हम इस दिशा में जोखिम उठाने के लिए तैयार रहें। प्रो. चक्रवाल ने युवाओं को बदलते समय की चुनौतियों के अनुरूप स्वयं को तैयार करने की प्रेरणा दी और कहा कि आज जिस तेजी से तकनीकी बदलाव जारी है, उसे देखते हुए किताबी ज्ञान के साथ-साथ तकनीकी ज्ञान और समय के अनुरूप प्रशिक्षण अनिवार्य है। प्रो. चक्रवाल ने कहा कि अगर ठान लिया जाए तो अवश्य ही विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेशवर कुमार ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि के प्रति आभार व्यक्त किया और विकसित भारत पर केंद्रित विमर्श आधारित इस कार्यक्रम के लिए आयोजकों की सराहना की। कुलपति ने इस मौके पर कहा कि आज समय है नवाचार पर निवेश करने की है। यही वह माध्यम है जो आपको मल्टीपल रिटर्न प्रदान कर सकता है। कुलपति ने युवाओं को नवाचार, स्टार्टअप और अपने व्यवसाय शुरु करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि इस प्रयास में शैक्षणिक स्तर पर भी नीति निर्धारित की शिक्षकों व विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। कुलपति ने देश के विकास व विकसित भारत के निर्माण हेतु सभी नागरिकों के योगदान की आवश्कता पर जोर दिया।
विश्वविद्यालय के समकुलपति प्रो. पवन कुमार शर्मा ने भारतीय दृष्टि को केंद्र में रखकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का स्वरूप व स्वभाव दोनों ही महत्त्वपूर्ण है। हमें यह तय करना होगा कि हम कैसी प्रगति और विकास चाहते है। इसके लिए एक सतत, मजबूत और भरोसेमंद प्रारूप की आवश्यकता है। भारत ने साबित किया है कि देश आपदा में भी अवसर विकसित करता है। अवश्य ही यह आयोजन इस दिशा में निर्णायक प्रयासों को बल प्रदान करेगा।
कार्यक्रम के अंत में वाणिज्य विभाग की विभागाध्यक्ष व आयोजन की सह-निदेशक प्रो. सुशीला सोरिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने आयोजन के प्रायोजक पंजाब नेशनल बैंक, जांट-पाली शाखा; केनरा बैंक, महेंद्रगढ़ शाखा तथा ज्ञानकोश स्कूल, आकोदा का सहयोग के लिए विशेष आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में सम्मेलन निदेशक प्रो. रंजन अनेजा, आयोजन सचिव डॉ. अजय कुमार, डॉ. रविंद्र कौर, डॉ. भूषण सिंह ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में देश-विदेश से लगभग 300 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। इनमें 25 राज्यों से पंजीकृत छात्र-छात्राओं के साथ-साथ 20 से अधिक केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों और विभिन्न संस्थानों के शोधार्थी और विशेषज्ञ भी प्रतिभागिता कर रहे हैं। आयोजन में मंच का संचालन पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के सहायक आचार्य डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने किया।

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